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धोखा

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धोखा भी उन्ही से मिलता है जिससे उम्मीद होती है ,, क्योंकि अक्सर हमने खूबसूरत लोगों में खोट निकलते देखा है ,, मौके पे जो बोलते हैं करो हमपे भरोसा नही टूटने देंगे उम्मीद कोई ,, अक्सर उन्ही से मिलता है

राजा कृष्णदेव राय पशु-पक्षियों से बहुत प्यार करते थे। एक दिन एक बहेलिया राजदरबार में आया। उसके पास पिंजरे में एक सुंदर व रंगीन विचित्र किस्म का पक्षी था। वह राजा से बोला, 'महाराज, इस सुंदर व विचित्र

एक बार एक साही एक खजूर के पेड़ के नीचे रहने के लिये आया। उसी पेड़ के ऊपर एक कबूतर अपनी पत्नी के साथ रहता था। साही ने सोचा कि यह कबूतर का जोड़ा तो इस पेड़ के फल खाता है पर मुझे इस पेड़ के फल खाने का कोई मौ

मन मे कुछ और पहली हीनज़र मे दिया उसने धोखा।हम भी नकम थे उसीके गली मे,रख दियापान का खोखा।जब भीनिकलती वो अपनी गली से,नजरेलड़ाके वो, नज़रेचुराती वो।कभीइतराकर कभी मुस्कराकर,हमे वोजलाती, हमे वोजलाती।जाती कहाँथी? हमे न बताती,हम भी उसीकी यादों मे जलने लगे...पहली हीनज़र मे दिया

आशियाना नहीं धोखा हैं.डीडीए फ्लैट, यह नाम अपने आप मे बहुत बड़ा हैं दिल्ली शहर के लिए यह लाईन उस औरत केज़ुबान से सुना जिसने पहली बार सावदा घेवरा के फ्लैटों मे अपने कदमो को रखा थाजिसके पापा ने 1985 मे एक घर होने की चाहत को सजाया था। वह सफदर जंग कालोनी से आएथे उनके पास अपनी कार थी उसमे पाँच लोग सवार थे।

जहर खुरानी ( जहर खिला कर मरणासन्न कर लूटने वाले ) लुटेरों से सावधान )                      डॉ शोभा भारद्वाज सुना है अंग्रेजों के समय में कई धतूरिया गैंग थे उनके लुटेरे धतूरे के बीजों को पीस कर कभी – कभी उनमें भांग या अफीम मिला कर जहरीला बनाते थे शिकार को बातों में उलझा कर प्रशाद या किसी खाने की चीज

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