4 मई 2020
विज्ञात छंदमुक्तक एक प्रयासदेख लगे न कोरोनाहाथ हमें सदा धोनादूर रहो करो बातेंजान कभी नहीं खोना।देख बड़ी महामारीजीवन पे पड़े भारीचूक गया जहाँ कोईसाथ चली नहीं हारी।अभिलाषा चौहान'सुज्ञ'स्वरचित मौलिक