मैने मुस्कुरा कर जीत लिया दर्द अपना लोग मुझे दर्द देकर भी मुस्कुरा ना सके
धोखा दे जाती है अक्सर मासूम चेहरे की चमक...हर चमकते काँच के टुकड़े को हीरा नहीं कहते...!
तू शौक से कर सितम जितने भी तेरे बस में हैं... मैं भी तो देखूं कैसे कैसे तीर तेरे तरकश में हैं...
शब्दों का प्रयोग सावधानी से करिए साहब, ये परवरिश का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करते हैं ...!(कृपया शालीनता से टिप्पणी करें और गलत भाषा का चयन करके अपनी गलत मानसिकता प्रकट न करें)-दिनेश कुमार कीर
सिर झुका कर उसकी हर बातें सुनी जाती है,पसंदीदा स्त्री से बहस नहीं की जाती है...-दिनेश कुमार कीर
जिंदगी मिलती सबको एक सी है,बस इसे जीने के तरीके अलग होते हैं।-दिनेश कुमार कीर
मंजिल की तलाश में चले कितने हैं पैर ये कांटों से छिले कितने हैं कामयाबी के इस शोर के पीछेजीत हार के सिलसिले कितने हैं-दिनेश कुमार कीर
जो पानी से नहाएगा वह सिर्फ लिबास बदलेगा पर जो पसीने से नहाएगा वो इतिहास बदलेगा-दिनेश कुमार कीर
उड़ान तो भरनी है, चाहे कितनी बार भी गिरना पड़ेसपनो को पूरा करना है, चाहे खुद से भी क्यों न लड़ना पड़े-दिनेश कुमार कीर
ख़ुश्बूओं से, रंगो से, गुलों से भरी सी लगती हैतू मिला है जब से, ज़िंदगी भली सी लगती है-दिनेश कुमार कीर
शाम सारी हदें पार करती हुई गुजर गई, आंगन में उतरना था दिल में उतर गई!
इतना मुस्कुराओ जिंदगी में किजिंदगी भी देखकर मुस्कुरा उठे...
मैं ठहरा फूल सा,कांटों के है किनारे।फिर मुझको कैसे तोड़ गए,मैं था उनके ही सहारे।।-दिनेश कुमार कीर
रोटी तो हर कोई बना लेता है रोटी कमाने का हुनर सिखाइए बेटियों को
कांटों के बीच में रहकर भी मुस्कुराने की कलालाख तूफ़ान आए पर भी महकने की कला धूप में तपने के बाद रंगत बनाए रखने की कला हर परिस्थिति में जीने की कला हमें गुलाब से सीखना चाहिए-दिनेश कुमार कीर
हमारा चरित्र कितना ही दृढ़ क्यों न होमगर उस पर संगति का असर अवश्य होता है-दिनेश कुमार कीर
मोहब्बत और मौत की पसंद तो देखो यारोंएक को दिल चाहिए और दूसरे को धड़कन-दिनेश कुमार कीर
एक उम्र गुजर गयी, दूसरों के लिए सोंच सोंच करऐ ज़िंदगी, कुछ वक़्त अपने लिए भी निकालना सीख जा... -दिनेश कुमार कीर
सफ़र है ज़िंदगी काउल्फ़त-ए-बेख़ुदी काख़ुद को तरासकर फिर निखरना होगाहमें ज़िंदा रहना होगा
मंज़िलें क्या हैं रास्ता क्या हैहौसला हो तो फ़ासला क्या है