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नज़रिया

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एक मुलाकात कितनी सारी गिरहों को खोल देती है, चुप्पी तोड़कर बहुत कुछ कह जाती है … मन-मस्तिष्क के गोलम्बर पर कल बुद्ध,यशोधरा, राहुल से बारी बारी मिली, उन्हें सुना … उनको सुनकर मैंने भी चाहा … क्रमशः यूँ - मैं बुद्ध लौटना चाहता हूँ ज्ञान अरण्य के एकाकीपन से अल

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