कल्पना को फिर सपने की वह लाल साड़ी और कुर्ता याद आया। कल्पना ने धीर से काम की दुनिया से छुट्टी ली मंगलवार की। आज कल्पना ने अपनी मामी को फोन करके रोहतक आने के लिए कह दिया। वह अपने आस पास के तीन चार बाजार में गयी। कल्पना साड़ी, कुर्ता पजामा पसंद करना चाहती थी। यह चाह धीर और सपना के लिए थी। नवरात्