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प्रेमी

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नशीली आंखो से वो जब हमें देखते हैं,           हम घबरा के अपनी ऑंखें झुका लेते हैं, कैसे मिलाए हम उन आँखों से आँखें,           सुना है व

ज़िंदगी मनुष्य को जहां भी लेकर जाती है। यह सब कुदरत का खेल है । जिसने तन दिया और तन के साथ कर्मों के आधार पर भाग्य दिया। भाग्य का निर्माण खाली बैठकर कभी नहीं होता है। उसके लिए तुम्हें कर्म करने की आवश

रोहित एक कस्बा सोनपुर के स्कूल में प्राइमरी शिक्षक था। अपने काम के प्रति बहुत ही ईमानदार, निष्ठावान और समर्पित व्यक्ति था। बुद्धिमता के  सामने शरीर के रंग कभी भी मायने नहीं रखता है।‌ रोहित का रंग

बरसों से सहेजा ख्वाब,सूखे पत्ते-सा उड़ जायेगा। सोचा नहीं था, इक आंधी के झौंके-से,दो हंसों का जोड़ा बिछुड़ जायेगा...!        आह ! इंदु.. तुम भी ना ! ऐसे, ऐसे कौन बिछुड़ता

       उसका चेहरा श्यामवर्ण है, लेकिन जब वह आती है; तो उसे लगता है कि वह गौरवर्ण हुआ जा रहा है। उसकी आंखें छोटे आकार की हैं, लेकिन जब वह आती है; तो उसे लगता है कि उसकी आंखें बड़ी ह

हजारों-लाखों बूंदें नहीं भिगा पाईं मुझे, लेकिन उसके पलकों से गिरी एक बूंद ने पूरी तरह भिगा दिया था मुझे....

मेरे प्यार को तुने पैरों तले रौंद दियापर तेरे पग धुरी को भी मैं प्रसाद के तरह स्वीकार कियाकिस तरह लोगे मेरे प्यार की परीक्षाभूखे रखकर, अग्नि में जलाकर या जहर पीलाकरचाहे जिस तरह ले लो मेरे प्यार की परी

मेरा कष्ट बढ़ाकर तुमको आता है आनंद मुझे छटपटाता देखकर तेरा पुलकित होता मन दिल तड़पाकर क्या चाहते हो दिल दुखाकर क्या चाहते हो  मुझको रुलाकर क्या चाहते हो क्या चाहते हो 

निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया रिप्लाई आते ही काश्

"तुम ! यहाँ भी।""हाँ, बिल्कुल ! जहाँ तुम, वहाँ मैं।""अच्छा, ऐसा है क्या ?"" बिल्कुल, तुम्हारा हमसाया जो हूँ।""चुप पागल !"और ऐसा कहते ही वह खिल उठी। सूरजमुखी नहीं थी वह और न था वह सूरज...

काश्वी ने देखा तो उसका ईमेल खुला हुआ है वहीं मेल जो उत्कर्ष ने उसे किया… मेल में उत्कर्ष ने काश्वी को रिमांइड कराया कि उसे जल्द एडमिशन के बारे में फैसला करना है… काश्वी सब समझ गई… उसका डर अब उसके सामन

तेरे इंतज़ार में ,मेरी जिंदगी गुज़र गई।तू मिली तो मुझे हर खुशी मिल गई।।तुम रब ने मेरे लिए बनाई हो।चमन के खिलते सुमन की तरह सजाई हो।प्रेम की दुनिया में तुम्हें याद रखूंगा।तुमसे बिछड़ने की ना उम्मीद करू

क्यों न चाहूं तुझको तू खास जो इतना लगता है मैं गैरों से क्यों आस करूं जब तू अपना सा लगता है क्यों न मांगू तुझको रब से एक फरिश्ता  सा तू लगता है मैं ओरों की क्यूँ चाह करूँ  जब तू अपना सा

मेघो से बोले दिल, दिल कीचाहत है मुझको रंगो से भरदे, दिल की चाहत है उसको भी रंगो से भरदे, मुझसे आहत है...

भूल  करो, लगते  समझदार सेवंचित न रह जाना तुम प्यार सेगलियों में आना जरा संभाल केकदम हर एक रखना संभाल केमौसम खराब, चलना संभाल केहर घर दफ्तर  खुले अखबार से...बुला लेना तुम, मुझे पुकार क

अरे हो भारती तेरी बहन मिनू कहा है उसको देख जाकर की तैयार हूई क्या आज उसकी हल्दी दुल्हे को हल्दी लग चुकी है तो वो अब दुल्हन की हल्दी लेकर निकल गये है सुन रही है ना भारती हां हां मां ये है हमारी

कमाल है कमाल है मचा हुआ बवाल है हड़बड़ी मन में है क्यों उठा रहे सवाल है क्या हुआ है क्या पता हर कोई ये पूछता सबको दिल की मत बता कुछ राज अपने तो छुपा जो हुआ नहीं अभी क्यों आ रहा ख्याल है अपने म

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बड़े दिनों के बाद इस मन में सन्नाटा सा छाया है | देख लकीरें हाथों की एक प्रश्न ज़हन में आया है | मन की खुशियों को बेचकर क्या खोया क्या पाया है | लाख उम्मीदें थी जीवन से कामयाबी की दौड़ मे

नैनो की वो मझधार  जो रुक भी ना सकी और रो भी ना सकी इजहार तेरे इश्क का  तुझसे जुदा होते वक्त कर भी न सकी सिसक कर रह गई तब मेरी हर एक सांस जब तेरी झुकती पलकें भी  उन जाते लम्हे को थाम ना स

एक बात रह गई थी अधूरी जो चाही हमें करनी पुरी उन चाहत को अबाद करे फिर एक नई शुरुआत करें खामोश तब ये आंखें थी हल्की हल्की सी साँसे थी कुछ दिल से दिल की बातें थी चल दिल की सारी बात करे फिर एक नई शुरुआत क

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