shabd-logo

मंत्र

hindi articles, stories and books related to mantra


featured image

प्रणाम सिस्टर ,                    हाँ, सुबह नींद खुलते ही हम परमात्मा को थैंक्स कहे । आज हमारी नींद खुल गई आज हम फिर जीवित है हमें एक मौका जीवन जीने का और दिया है। इस संसार में तो कई लोग रात सो

featured image

प्रणाम गुरुदेव,                    हाँ, दुनिया से नफरत मिट जाए यही लोग चाहेंगे। जहाँ जहाँ हिंसा अपराध हत्या हो रहा है वहाँ के लोगो से पूछो तो जिन पर मौत हर पल गुजर रही है लोग सुकुन और शान्ति का

featured image

प्रणाम सद्गुरू,                     हाँ, हर व्यक्ति का कोई न कोई उद्देश्य होता है जैसे कोई पढ़ लिखकर नौकरी करना चाहता है। कोई बिजनेस करना चाहता है। कोई नेता या अभिनेता बनना चाहता है। यह उद्देश्य

featured image

प्रणाम सिस्टर,                   हम किसी की मदद करे और उनसे इस तरह मदद की अपेक्षा न रखे क्योकि उसके सीडी में अलग अंकित है जो आपके सीडी में था आपने चलाया उसके सीडी है वो वैसा ही चलाएगा। याने कि न

featured image

प्रणाम सद्गुरू,                      हाँ, जिस प्रकार से एक बीज में विशाल वृक्ष छिपा है। उसी प्रकार से हमारे अंदर ही असली राज छिपा है। आप अंदर से कैसे हैं वही बाहर शरीर मन व आपका जीवन शैली निर्भर

featured image

प्रणाम गुरुदेव,                    हाँ, मेरा पेट भरा है तो सम्भावना है कि मैं दूसरो को खिलाऊँगा या किसी का भोजन तो नही छीन सकता। संतुष्टि वह विरामावास्था है जिसमे परिधि पर संसार तो चलता है केन्द

featured image

प्रणाम सद्गुरू,                      जल ही जीवन है । जल हमारे लिए एक विकराल समस्या बनता जा रहा है। जलस्तर एकदम नीचे चला गया है। अब गाँवो में भी कई गाँवो का बोर सूखता जा रहा है ।अप्रैल के आते तक

featured image

प्रणाम स्वामी जी,                    हाँ,हमारा दृष्टिकोण निर्भर करता है कि हम कैसे देखते है। किसी घटना को हम कैसे लेते है जैसे एक गिलास पानी से आधा भरा है इसकी दो दृष्टिकोण हो सकता है एक तो गिला

माँ हम जिसे पूजते है उसे कई रुपो में मानते है। कोई माँ कहता है कोई ईश्वर कोई परमात्मा कोई भगवान तो कोई अल्लाह कहता है। उस निराकार को लोग दो रुपो में विभाजित करते है एक पुरुष रुप व एक स्त्रैण रुप। इस

featured image

प्रणाम आचार्य जी,                         हाँ यदि हमे स्पष्ट दृष्टि मिल जाए तो हम समझ सकते है। उस दिशा की ओर कदम बढ़ा सकते हैं जो जन कल्याणकारी होगा सत्य की ओर बढ़ सकते है।                जब किस

featured image

प्रणाम सद्गुरू,                      मनुष्य को अभी तक पता नही है क्या है सुख, क्या है आनन्द। हम अपना बीमा कराते है ताकि परिवार के सदस्यो को आर्थिक संकट से गुजरना न पड़े। मनुष्य कभी हसता है कभी रो

featured image

प्रणाम गुरुदेव ,                    हाँ, प्रार्थना में वो शक्ति है जो हमको सम्बल व शक्ति प्रदान करता है। अपने आस पास पूजा व प्रार्थना करते हम देखते है क्या ये यही प्रार्थना है। हम प्रेयर में क्य

featured image

प्रणाम सिस्टर,              येस, हम किसी को दोष क्यो दे जबकि सारा हमारा किया कराया है ।    हमारे अन्दर जरुर फूलो का खज़ाना होना चाहिए न कि काँटो का। शुभ सोचेंगे ,शुभ करेंगे तो वही वापस होकर बर

featured image

प्रणाम सद्गुरू                  हाँ, जागरुकता बहुत बड़ी कीमिया है । आमतौर पर हम जिसे जागरुक होना कहते हैं वो एक साधारण जीवन चर्या है जिसे रोजमर्रा की जिंदगी में जीते है । जागरुक एक अलग ही बात है

featured image

प्रणाम सिस्टर,                    Yes; हम प्रसन्न आत्मा है। हम शांत है ही शांत होना हमारा स्वभाव है। हमारे परिधि में कुछ भी होता रहे पर केन्द्र में कोई हलचल नही होता वह अछुता है सुख दुख उसके लिए

featured image

प्रणाम सद्गुरू;                 जब मन व शारीरिक शक्ति एक हो जाए तो निश्चित ही व्यक्ति सफलता को प्राप्त करता है । लेकिन कहते हैं हमारे पास एक और शक्ति का स्रोत है जो जितना उपयोग होता है उतनी सामर

featured image

प्रणाम सिस्टर;                 हाँ बच्चे सच बोलते है कई ऐसे सच भी होते हैं जिसे बड़े लोग दबा देते है । बच्चे का मन अभी कोरा है अभी उसने चलाकिया नही सीखी जो सही है उसे प्रगट कर देता है । हमे बच्चो

featured image

प्रणाम सद्गुरू,            हाँ सद्गुरू जिस प्रकार से एक पौधा पूरी तरह से खिल उठता है वातावरण में सुगंध बिखेर देता है उसी प्रकार से मनुष्य के जन्म का उद्देश्य अपनी पूरी संभावना के साथ खिल उठना है

हरि अनंत हरि कथा अनंता। रंगनाथ रामायण में एक सर्वथा नई कथा मिलती है जिसके अनुसार शूर्पणखा को एक पुत्र था जिसका नाम जंबुमाली था। कथा के अनुसार जब रावण ने अपने बहनोई विद्युज्जिह्व का वध कर दिया, उस समय

हरि तुम हरो जन की भीर। द्रोपदी की लाज राखी, तुम बढायो चीर॥ भक्त कारण रूप नरहरि, धरयो आप शरीर। हिरणकश्यपु मार दीन्हों, धरयो नाहिंन धीर॥ बूडते गजराज राखे, कियो बाहर नीर। दासि 'मीरा लाल गिरिधर, दु:ख

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए