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मनोज्ञा

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मनोज्ञा छंद "होली"भर सनेह रोली।बहुत आँख रो ली।।सजन आज होली।व्यथित खूब हो ली।।मधुर फाग आया।पर न अल्प भाया।।कछु न रंग खेलूँ।विरह पीड़ झेलूँ।।यह बसंत न्यारी।हरित आभ प्यारी।।प्रकृति भी सुहायी।नव उमंग छायी।।पर मुझे न चैना।कटत ये न रैना।।सजन य

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