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मनोवैज्ञानिक

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मैं सातवीं कक्षा में था, आम लड़कों की तरह खेलता, पढ़ता और मस्त रहता था, बहुत मित्र थे मेरे, इस गली से उस गली तक , फिर पूरे शहर तक मैं जहाँभी जाता, लोग मुझे जानते थे , और मैं उन्हें, मन में एक अजीब स

मैं सातवीं कक्षा में था, आम लड़कों की तरह खेलता, पढ़ता और मस्त रहता था, बहुत मित्र थे मेरे, इस गली से उस गली तक , फिर पूरे शहर तक मैं जहाँभी जाता, लोग मुझे जानते थे , और मैं उन्हें, मन में एक अजीब स

आज मेरा पहला उपन्यास छप कर आया है , इसे मैंने पापा को समर्पित किया है , जो हूँ आज उन्हीं की वजह से हूँ। यूँ तो कुछ साल पहले तक मैं उनसेनफरत करता था , उन्हें पापा भी नहीं कहता था , कोशिश करता था कि उ

मेरा उपन्यास अश्वत्थामा यातना का अमरत्व, अमेज़न पर उपलब्ध है। इस उपन्यास में अश्वत्थामा की मनोदशा का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया गया है। कृपया इसे अमेज़न पर आर्डर कर पढें। साथ ही मेरा एक और उपन्यास बाजीराव बल्लाळ एक अद्वितीय योध्या भी अमेज़न पर उपलब्ध है। धन्य

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