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महिलाशक्ति

hindi articles, stories and books related to Mahilashakti


आदर्श नारी के गुण बखान करती कविता - ******************************************** @@@@@@@@ सुलखण नार @@@@@@@@ ************************************************************ घर -मन्दिर की जो हो देवी ,पूजे जिसको उसका भरतार | जीवन में ही स्वर्ग मिल जाए ,पाकर पत्नी सुलखण नार || जान हो जो अपने बच्चों की ,पत

सूर्य में कितनी ऊर्जा है ये उसे नहीं पता ,चन्द्रमा में कितनी शीतलता है ये उसे नहीं पता ,फूल अपनी सुगंध से अवगत नहीं है ,हीरा अपने मूल्य से अंजान है                                                                                                                                                         

                                                                                                                                                                                                     ईश्वर ने पावन प्रतिमा ऊपर से उतारी है .                                                                

@@@@@@@@- नारी- @@@@@@@@इस दुनिया की शोभा है , इस दुनिया की रौनक है |खुश रखें सदा इसको ,रचा कुदरत ने है जिसको ||जिसकी दीवानी सृष्टि सारी,वो नारी है कहलाती |बुझे -बुझे मर्दों का मन ,नारी ही तो बहलाती ||घर में पायल खनकाती ,मन का मोर नचवाती |पतली कमर लचकाती ,प्यार में आकर इठलाती ||इस दुनिया की शोभा है

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आज पुरुष और नारी समानता का युग होने के बावज़ूद, अभी भी नारी अत्याचार की इतनी घिनौनी कुप्रथाएं मौजूद है कि जिन्हें जानकर आप दाँतों तले उंगली दबा देंगे। नारी अत्याचार की क्रृरतम कुप्रथाएं | आपकी सहेली ज्योति देहलीवाल

सामान्यतः मनुष्यों को जल, भाफ, अग्नि, विद्युत, वायु, गैस आदि की शक्ति का तो अनुभव हुआ करता है, परन्तु ‘शब्द’ में भी कोई ऐसी शक्ति होती है, जो स्थूल पदार्थों पर प्रत्यक्ष प्रभाव डाल सके, इस पर उनको शीघ्र विश्वास नहीं होता। वे यह तो मान सकते हैं कि मधुर शब्दों से श्रोता का चित्त प्रसन्न होता है कठोर श

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वैदिक काल में नारी की स्थिति अत्यन्त उच्च थी। उस काल में यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता की कहावत चरितार्थ होती थी। भारतीयों के सभी आदर्श रूप नारी में पाए जाते थे, जैसे सरस्वती(विद्या का आदर्श), लक्ष्मी(धन का आदर्श), दुर्गा(शक्ति का आदर्श), रति(सौन्दर्य का आदर्श) एवं गंगा(पवित्राता का आदर

भावुकता स्नेहिल ह्रदय ,दुर्बलता न नारी की ,संतोषी मन सहनशीलता, हिम्मत है हर नारी की ........................................................................भावुक मन से गृहस्थ धर्म की , नींव वही जमाये है ,पत्थर दिल को कोमल करना ,नहीं है मुश्किल नारी की.................................................

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श्रीश्री रविशंकर के रवि से श्रीश्री बनने तक के सफर के बारे में एमएन चक्रवर्ती आगे बताते हैं, उन दिनों में वह बेहद आकर्षक थे। एक ऐसा युवक जिसके गाल आपको उसके करीब ले जाते और आपका दिल करता कि आप उसके गालों को पिंच करें। लंबे उड़ते बाल और दाढ़ी के बावजूद आप जब उसे छूते तो आपके अंदर नारी को छूने वाला फी

औरत  तो अपना फर्ज़ खूब निभाती रही,और ये दुनिया मासूम पर ज़ुल्म ढाती रहीन मालूम कितनी कुर्बानियां दी हैं अब तलक,वो बेक़सूर होकर भी ताउम्र सज़ा पाती रहीबेटी, माँ, सास का किरदार सलीके से निभाया,इनाम तो न हुआ हासिल ज़िल्लत ही पाती रहीउसे इल्म ही न था कुछ सीखने समझने का,यही एक कमी थी दुनिया बेवक़ूफ बनाती रह

भारतीय नारी एक साथ 10 से 15 परिवार का टेंशन लेके चलती है -.- -.- -.- एक उनका खुद का बाकि टीवी सीरियल और पडोसी का 😜😜😜

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माँ मार मार कर खिलाती है ।पत्नी खिला खिला कर मारती है ।(क्षमा करे सभी नही)

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अर्ध सत्य तुम, अर्ध स्वप्न तुम, अर्ध निराशा-आशाअर्ध अजित-जित, अर्ध तृप्ति तुम, अर्ध अतृप्ति-पिपासा,आधी काया आग तुम्हारी, आधी काया पानी,अर्धांगिनी नारी! तुम जीवन की आधी परिभाषा।इस पार कभी, उस पार कभी.....तुम बिछुड़े-मिले हजार बार,इस पार कभी, उस पार कभी।तुम कभी अश्रु बनकर आँखों से टूट पड़े,तुम कभी गीत

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