shabd-logo

माँ

hindi articles, stories and books related to ma


featured image

माँ जो संजोती थी लोरी सुलाकर दामन में अपने आँचल से मुँह मेरा छिपाती सुनाकर कहानी वो दीवाल पे सो लेती सपने बुन लेती तेल की मालिश से उभरते अंगो को सहलाती व्यायाम कराती पैरो तले

 माँ जीवन की पहली गुरु होती हैशायद पहली गणितज्ञ भी होती हैसिखाती है बच्चों को जीवन का एक दो तीनऔर ज्यामिति विधा की वो मर्मज्ञ होती है।माँ को वृत्तीय आकृतियों से विशेष लगाव होता हैतभी तो वो लगाती

featured image

तारों में चाँद जैसीधूप में छाँव जैसीशहरों में गाँव जैसीमँझधार में नाव जैसीहोती है माँ...अविश्वास में विश्वास जैसीहताशा में उल्लास जैसीनिराशा में आस जैसीतिमिर में प्रकाश जैसीहोती है माँ...नुकसान में नफ

रिश्ता ! क्या होता है ये रिश्ता और इनके मायने क्या होते हैं ? कौन देता है इन्हें मां बाप ,भाई बहन और ऐसे अनेकों नाम, साथ ही इनमे  जन्म लेती और पल्लवित होती भावनाएं और एक अपनत्व को जतलाता हुआ अख्त

      माँ माँ ऐसा शब्द है जिसको मैं अपनी कलम से पूरा कर ही नही सकती!माँ की ममता को शब्दों में बांधना नामुमकिन है!हर माँ में भगवान् की छवी होती है। अगर आप माँ की सेवा नही करते तो आप

माँ तू अम्बर है, माँ तू समंदर है,माँ तेरे कदमों में, सुख कितना सुंदर है।तूने आकार दिया, तूने ही प्यार दिया,मंजिल पर जाने का, तूने आधार दिया।गिरकर संभलने की, उठकर फिर चलने की,तूने ही साहस दिया,तूने ही

शीर्षक-लोरी गीत  हे लाल! मेरे हे चांद मेरे! मीठे सपनों में तू खोजा,  है देखना दुनिया परियों की अब जल्दी से तो तू सोजा ।। ..  जो सोयेगा तू जल्दी से मैं चांद खिलौना लाऊंगी,  फिर सुबह- सुबह ले साथ

1- 'मां'
मां शब्द से बनी जिंदगी हमारी,

इनके हाथों से सजी है हमारी क्यारी।

ईश्वर

आजा अंचाल तले छिपा लूँ। 🌹
      &n

featured image

✒✒अश्विनी कुमार मिश्रा की कलम✒✒


"माँ"

वो कई रंगों को मिलाकर

मेरे

जब भी स्वप्न कोई टूटा पलकों को सहला दिया शूल चुभा कोई दामन में होठों से दर्द चुरा लिया जब छलका आँखों में आँसूएक मीठी लोरी सुना दिया जब भी थका सामर्थ्य मेरा उम्मीद किरण दिखला दिया राह सूनी जब घुप्प अँधेरा पथ में दीपक जला दिया जब-जब जग ने ताने मारे आँचल में तुमने छुपा लिया पल-पल मुझे सँवारा तुमने हो

बचपन कितना अच्छा था।जब दांत हमारे कच्चे थे।कमर करधनी, पैर पैजनिया,चल बईयन, सरक घुटवन खड़े हो गए।पकड़ उंगली दादा दादी की,सैर गाँव की कर आते थे।ले चटुवा, गाँव की दुकान से,लार होठो से, दाड़ी तक टपकते थे।धो मुँह माँ हमारी, काजल आँख धराती थी।कर मीठी मीठी बातें बकरी का दूध पिलाती थी।उतार हमारे गर्दीले कपड़ो क

*माँ अम्बे स्तुति*पंचचामर छन्द121 212 12, 121 212 12नमामि मातु अम्बिके त्रिलोक लोक वासिनी!विशाल चक्षु मोहिनी पिशाच वंश नाशिनी!!समस्त कष्ट हारिणी सदा विभूति कारिणी!अनंत रूप धारिणी त्रिलोक देवि तारिणी!!सवार सिंह शेष पे महाबला कपर्दिनी!असीम शक्ति स्त्रोत मातु चण्ड मुण्ड मर्

featured image

क्वीन बी मेरी माँ ( आज मेरी माँ का जन्म दिन है वह कितने वर्ष की हो गयी हैं हम जानना नहीं चाहते ) डॉ शोभा भारद्वाज मेरी माँ के पिता अर्थात मेरे जागीरदार नाना कालेज मेंप्रिंसिपल और जाने माने अंकगणित के माहिर थे . मेरी नानी अंग्रेजों के समय में विदेशीवस्तुओं का बहिष्कार ( पिकेटिंग

featured image

माँजिस्म से रूह तक ,एक-एक रुआँ होती है,वो तो माँ है सारी, दुनियाँ से जुदा होती है, उसकी प्यारी सी, थपक आँख सुला देतीहै,माँ तो पलकों से, भर- भर के दुआ देती है ये जो दौलत है, बेखोफ़ जिगर, शौहरत, हैमाँ के आँचल की, हल्की सी हवा होतीहै I चाहे दुनियाँ ही, रुके, सांस भले थम जाये,माँ की मम

माँ मुझे अच्छे से प्यार कर लेना, मेरी आँखों में अपनादुलार भर देना,दुनियाँ को सारी मैं ममता सिखाऊँ,ऐसा तुम मेरा श्रंगार कर देना । ....माँ मुझे अच्छे से मैं घुटनों चलूँगी, गिर- गिर पड़ूँगी, गोदी नाचूँगी, खिल खिल हसूँगीझुलूंगी, खेलूँगी , सबको खिलाऊँगी, आँगन मेँ

featured image

जब-जब भी मैं तेरे पास आयातू अक्सर मिली मुझे छत के एक कोने मेंचटाई या फिर कुर्सी में बैठीबडे़ आराम से हुक्का गुड़गुड़ाते हुएतेरे हुक्के की गुड़गुड़ाहट सुन मैं दबे पांव सीढ़ियां चढ़कर तुझे चौंकाने तेरे पास पहुंचना चाहताउससे पहले ही तू उल्टा मुझे छक्का देती मेरे कहने पर

यह मैं नही, मेरी माँ कहती है।जब मैं पैदा हुआ दादी की गदेली भर का था।तब परदादी ने पच्चीस पैसे में खरीद लिया था।यह मैं नही, मेरी माँ कहती है।बुआओं की गोंद में खेल कर उंगली पकड़ खेला था।कुछ बड़ा हुआ दिन गुजरे ननिहाल की खेत पगडंडियों में।यह मैं नही, मेरी माँ कहती है।ददिहाल भी अछूता नही रहा, मुझे प्यार देन

वर्ड पिरामिडहे!मातु!शारदेतम दूरमेरे कर देन हो कभी अहंमातु कृपा कर देमैंहूँ माँअज्ञानीकर जोड़करूँ विनतीहे हँसासिनी माँज्ञान सार भर दे स्वरचित:-अभिनव मिश्र"अदम्यशाहजहांपुर,उत्तरप्रदेश

featured image

हरिगीतिका छन्द,2212 2212 2, 212 2212हे! मात! नत मस्तक नमन नित,वन्दना कात्यायनी।अवसाद सारे नष्ट कर हे, मात! मोक्ष प्रदायनी।हे! सौम्य रूपा चन्द्र वदनी, रक्त पट माँ धरिणी।हे! शक्तिशाली नंदिनी माँ, सिंह प्रिय नित वाहिनी।माथे मुकुट है स्वर्ण का शुभ, पुष्प कर में धारिणी।हे! मात!नत मस्तक नमन नित,वन्दना कात

किताब पढ़िए