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भगुआ वस्त्र धारण कर साधु नहीं बन कोई सकता। जीव को प्रिय है प्राण, हंता नहीं साधु बन सकताअहिंसा का पाठ तामसिक वस्त्रधारी पढ़ा नहीं सकता।सात्विक बन कर हीं कोई सच्चा साधु बन भगुआ धारण कर सकता।।डॉ. कवि कुमार निर्मल

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