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यादें

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लाल बहादुर शास्त्री: एक नेता का पुनर्विचार लाल बहादुर शास्त्री, भारतीय राजनीति के वो अद्वितीय नेता थे जिन्होंने अपनी सादगी, समर्पण, और सेवाभाव से देश को निरंतर प्रेरित किया। उनका जन्म 2 अक्टूबर 19

भुलाये न भूलती हैं आपकी यादें,ख्यालों में मुकम्मल साथ रहती हैं।

हर्फ चुन-चुन के, सजाने की रस्म बाकी है।लिखी गई ना अभी तक, वो नज़्म बाकी है।।...सफे   सियाह   हुए,   हसरतें   भुनाने   में।नजर से दूर है जो, अहले - चमन

यादों का भंवरयादें हमेशा हमारे साथ रहती है....जब तक हम जीते हैं यादे भी जीती हैं हमारे साथ।कुछ खट्टे कुछ मीठे अनुभवो से सजी ये यादें ....संग संग चलती हमारे साथ।यादों का भंवर ना जाने कब 

कभी तेरे मैसेज मेरी धड़कन को बढ़ा देते थे,

खैर, मैं तेरी कॉल के ना आने से मरूँगा एक दिन।

मुरझायेगी कैसे ये यादे,खाद जो हम दे रहे हैं;उन खुबसुरत पलों की।सींच रहे है उसे संबंधों के पानी से,नहीं मुरझाएगी ये यादें,जड़ें इसकी बैठी है दिल में गहरे।

कुछ मीठी,कुछ खट्टी,कुछ कड़वी,कुछ रंगीन,कुछ बचपन की,कुछ जवानी की,कुछ संगीन।ये ही तो हैं वो यादें,जो भूले ना भुलायी जा सकी;कुछ यादें पूरी याद रही,याद रह गयी अधूरी बाकी।कुछ यादें तड़पाती है,कुछ प्रफुल्लित कर जाती है;यादें तो यादें हैं ,जो

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चन्द्रोलोअर बाज़ार एक संकरी सी सड़क पर था और उस सड़क के दोनों तरफ छोटी छोटी दुकानों की दो कतारें थी. सौ मीटर चलें तो दाहिनी ओर एक पक्का मकान था जिसमें आप का अपना बैंक था. आगे चलते चलें तो परचून की, जूतों की, मिर्च मसालों की वगैरा वगैरा दुकानें मिलती जाएँगी. ज्यादा एक्टिव बाज़

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कोई लौटा दो मुझे वो दोस्त सारे जो खेले थे साथ हमारे लड़ते झगड़ते भी थे एक दूसरे से फिर भी खुश थे सारेकहा चले गये वो दिन हमारे अब गाँव वीरान सा

कितने खेले खेल बचपन में , याद आएंगे वो उम्र पचपन में। गिल्ली डंडा, लट्टू को घुमाना, गिलहरी में फिर साथी को सताना। खो खो बड़ा पसन्दीदा लगता, अंटी तो माँ को ही अच्छा न लगता। जमा करते बड़े भैया जब अंटी, माँ डाँट कर घर से बाहर फेंक देती। सांप सीडी में साँप से काटे जाते, लूडो में तो हम कभी न हारते। गुड़िया

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"बहुत खूबसूरत होती है ये यादों की दुनियाँ , हमारे बीते हुये कल के छोटे छोटे टुकड़े हमारी यादों में हमेशा महफूज रहते हैं,

कागज़ की कश्ती बनाके समंदर में उतारा था हमने भी कभी ज़िंदगी बादशाहों सा गुजारा था,बर्तन में पानी रख के ,बैठ घंटों उसे निहारा था फ़लक के चाँद को जब

यादों के पन्ने से…..हर शाम….नई सुबह का इंतेजारहर सुबह….वो ममता का दुलारना ख्वाहिश,ना आरज़ूना किसी आस पेज़िंदगी गुजरती थी…हर बात….पे वो जिद्द अपनीमिलने की….वो उम्मीद अपनीथा वक़्त हमारी मुठ्ठी मेमर्ज़ी के बादशाह थे हमथें लड़ते भी,थें रूठते भीफिर भी बे-गुनाह थें हमवो सादगी क

बरसों बाद लौटें हम,जब उस,खंडहर से बिराने मे…जहाँ मीली थी बेसुमार,खुशियाँ,हमें किसी जमाने मे…कभी रौनके छाई थी जहाँ,आज वो बदल सा गया है…जो कभी खिला-खिला सा था,आज वो ढल सा गया है…लगे बरसों से किसी के,आने का उसे इंतेजार हो…न जाने कब से वो किसी,से मिलने को बेकरार हो…अकेला सा प

रद्दी में फेंकी यादों को✒️रद्दी में फेंकी यादों को कुछ, छिपा-छिपा कर लाया हूँ।शालीन घटा की छावोंदो पल सोने को जीतासाँसों की धुंध नहानेबेसब्र, समय को सीता;रेशम करधन ललचाकरस्वप्निल आँखें ये झाँकेंछुपकर जूड़ों से बालीकी चमक दिखे जब काँधें।घाटों पर घुट घुट रहा नित्य पर मंजिल नहीं बनाया हूँ,रद्दी में फेंक

Lyrics of Kuch Saal Pehle Doston Yeh Baat Hui Thi song from Yaadein is an amazing composition of musician Anu Malik. Read Kuch Saal Pehle Doston Yeh Baat Hui Thi Lyrics which are well written by Anand Bakshiयादें (Yaadein )कुछ साल पहले दोस्तों यह बात हुई थी (Kuch Saal Pehle Doston Yeh Baat Hui Thi

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आये दिल दिल की डुनिया मीन गीत से गीत गीत स्नेहा पंत और के के द्वारा गाया जाता है, इसका संगीत अनु मलिक द्वारा रचित है और गीत आनंद बक्षी द्वारा लिखे गए हैं।यादें (Yaadein )ए दिल दिल की दुनिया में (Aye Dil Dil Ki Duniya Mein ) की लिरिक्स (Lyrics Of Aye Dil Dil Ki Duniya Mein )ए दिल दिल की दुनिया में

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'Yaadein' 2001 की एक हिंदी फिल्म है जिसमें जैकी श्रॉफ, रती अग्निहोत्री, ऋतिक रोशन, करीना कपूर, सुप्रिया कर्णिक, अमृष पुरी, किरण राठोड, अवनी वासा, हिमानी रावत, अनांग देसाई, मदन जोशी, सुहास खंडके, डॉली बिंद्रा, सुभाष मुख्य भूमिका में घई, राजेन कपूर, राहुल सिंह, गर्गी पटेल, सुमन दत्ता, जेनिफर कोटवाल, क

कल की सोलह साल की दुल्हन आज बीस बरस की विधवा हो चुकी थी ।एक औरत का विधवा होना ही एक बहुत बडा अभिशाप माना जाता हैं और पश्चिमी राजस्थान में त

पापा की सरकारी नोकरी के कारण पापा का दो- चार साल में तबादला होता रहता था इसलिए हमें भी उनके साथ नयी - नयी जगहो पर जाना पडता था।इस बार हम सन्तु जीजी के मोहल्ले में थे ।एक आवाज घर केपीछे वाले घर में बार- बार गुँजती थी 'सन

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