5 दिसम्बर 2020
ज़िन्दगी के खाली पड़े कैनवास पे,जब चाहे मैं चित्र उकेर दूं। उस चित्र में जब चाहे मैं ,जिंदगी के उस कैनवास में रंग भर दूं।ज़िन्दगी का वह खाली कैनवास,अब ना रहेगा हमेशा की तरह बेरंग।पानी की लहरों की तरह,पहाड़ी झर