shabd-logo

राजनैतिक

hindi articles, stories and books related to Rajnaitik


आजकल कलेक्टरों को प्रशिक्षण में यह बात भी सिखानी चाहिये कि "रिजॉर्ट मैनेजमेंट" कैसे किया जाये ? पता नहीं कब अचानक इसकी जरूरत पड़ जाये ? अब पारंपरिक प्रशासन का जमाना नहीं रहा । अब तो नित नई परिस्थितयां

कलेक्टर अविनाश  की एक विशेषता थी । चाहे काम कितना ही हो , आज का काम आज और अभी ही होगा । इसके बावजूद शाम को 6 बजे तक ही ऑफिस में बैठना है , इसके बाद नहीं,  यही उसूल था उसका । सामान्यत: कलेक्ट

रिश्ते नाते यारी सब निकले कारोबारी सब उनके घर में 4 बेटियां फिर भी उन्हें दुलारी सब राजनीत की माचिस देखो देतीं है चिंगारी सब जाने किसकी नजर लगी है सूखीं हैं फुलवारी  सब जो दुनिया का चाल चलन

बाहर से शर्मिला है तब तो फिर जहरीला है चल धरती का रंग बता अंबर नीला नीला है उतने तो हम भूले बैठे जो तेरा टंडीला है तेरा पर्वत है तुझे मुबारक अपना खुद का टीला है राजनीत की गर्म हवा है प्रेम

पिछले कुछ दिनों से मालदीव में राजनीतिक घटना क्रम बहुत तेजी से बदल रहा है। हुआ यह कि वहाँ के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने मालदीव के सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश तथा एक न्यायाधीश को गिरफ़्तार

(तरनपुर की अवनति की कहानी) अंतिम क़िश्त अब तो तरनपुर के संविधान के तहत वहां के मंत्रीमंडल में सारे लोग मूल गोटावाले ही रह गए  , यानी तरनपुर की राजगद्दी को छोड़कर बाक़ी हर जगह कोटा वालों का ही आ

तरनपुर कस्बे की कहानी   ( प्रथम क़िश्त )आज के बिलासपुर शहर से लगभग 30 किमी दूर एक बड़ा सा कस्बा था तरनपुर । आज से कुछ सौ साल पूर्व यह कस्बा इस क्षेत्र का एक बड़ा व्यापारिक केन्द्र था ।पुराने लो

राजस्थान का बहुचर्चित स्कैंडल जिसने राजनीति में भूचाल ला दिया । कई खानदानों को मटियामेट कर दिया और सत्ता तथा सेक्स के गठबंधन को सार्वजनिक कर दिया । तो आज आपको यह बहुचर्चित किस्सा सुनाते हैं  । घट

जितने पुष्प उतने रंग।पता नहीं किसको कौन सा रंग मनमुग्ध कर जायें।जहाँ प्राग्रिया और कुमुद दाम्पत्य जीवन सुखमय हैं। दूसरी तरफ़ शुगन्धा का पति तम कुमार अमावस्या की काली छाया हैं।सबका सुख-दुख का चक्र चलता

"मुचकुंद गहरी नींद सो गया"...,एैसा कह के बल्लाव चुप हो गया। चिंता ऊसके सर पे मछरौं की तरहा मंडारा रही थी। अरे दादाजी ये तो कहानी का अंत हैं शुरवात नहीं! उसके पोते केशव ने कहा। “अरे अंत भी कह

"मुचकुंद गहरी नींद सो गया"...,एैसा कह के बल्लाव चुप हो गया। चिंता ऊसके सर पे मछरौं की तरहा मंडारा रही थी। अरे दादाजी ये तो कहानी का अंत हैं शुरवात नहीं! उसके पोते केशव ने कहा। “अरे अंत भी कह

आज कुसुम बहोत खुश थी, घर की साफ- सफाई हो गई थी दीवारों पे नया रंग लगा था, दरवाजो पर फूलो के हार, और आंगन मे रंगोली बनी थी। कुसुम को देखने आज विनयबाबू आ रहें थे। वो दोपहर को आ गये, उनको कच्ची

वृंदा:-हाँ,माँ ने सबकुछ बता दिया था।तब से हम दोंनो परेशान थें।तुम्हें सही राह पर लाने के लिए मार्ग खोज रहे थें।मुझे क्या पता तुम यह सब द्रुपत के लिए कर रहे थें।अब सारी मुश्किले टल चुकी हैं। नहीं दीदी।

दरबारों की दरबारी से,मार-काट मचा रहे।मानव अब हुआ मूल्यहीन हैमानव तन को नोच रहे।।समय वह पीछे छोड़ गया है,गिद्ध भी कीमत समझ गया है।।गुणहीन और धन युक्त हो,मानव मद में फूल गया है।।अपने को स्वामी समझकर,लाश

featured image

गर्मियों के दिन थे। सुबह-सुबह सेठ जी अपने बगीचे में घूमते-घामते ताजी-ताजी हवा का आनन्द उठा रहा थे। फल-फूलों से भरा बगीचा माली की मेहनत की रंगत बयां कर रहा था। हवा में फूलों की भीनी-भीनी खुशबू बह र

*बाबा साहेब का असली मिशन*डा भीम राव अंबेडकर की जयंती पर नमन! बाबा साहेब के कुछ बुद्धजीवी अंधभक्त बाबा साहेब को बगैर पढ़े उनकी मूर्ती के गले या पोस्टर पर माला चढ़ा कर जय भीम, जय-जय भीम बोल कर अपना दायित्


समानता के बिना स्वतंत्रता नहीं आ सकती है, 
और समानता के बिना बंधुत्व नहीं हो सकता है
 समानता, स्वतंत्रता और बंधुता एक दूसरे की 
पूरक है

राजनीति के गढ्ढे  ( कहानी अंतिम क़िश्त)अब तक - पार्षद के चुनाव मे विमल और शेर सिंह प्रत्याशी थे । मतगणना के समय कुछ देर बाद मतदान केद्र की बिजली गल हो गै तो वहां अफरा तफरी मच गई)जैसे ही मतदान केन्

"आजादी" नहीं आई आजादी पहनने से खादी कितनी माँओं के लालों ने अपनी जान लुटा दी

"सावरकर जी" जिसने भारत मां की सेवा की जी भरकर नाम था उसका विनायक दामोदर सावरकर अठारह सौ सत्तावन में हुआ था प्रथम स्वतंत्रता संग्राम लिखने पर,हो गया अंग्रेज सरकार का आराम हराम दस साल की कालेपा

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए