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राष्ट्रीय-ध्वज

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बांध कफन अपने सर पे ...निकले थे वीर तिरंगा को बचाने ...🇮🇳अपने प्राणों की आहुति दे ...तब वो दुश्मनों को भगा दिये  ...सालों से लगी बेड़ियों को तोड़ ...भारत माँ को स्वतंत्र किये ...करती हूं मै उनक

पिंगली वैंकैया ने इसे बनाया,३:२ की पैमाइश पर,खादी कपड़े पर इसे सजाया,२२ जुलाई १९४७ में संविधान सभा ने इसे अपनाया।।तीन रँगों से बना तिरँगा,केसरिया देता साहस और बलिदान।सफेद रँग से रंगी शाँति,हरा रँग है स

1/8//22प्रिय डायरी,                  आज शब्द.इन में तिरंगा शीर्षक पर कविता लिखी जो  शब्द.इन ने आज का टैग दिया राष्ट्रीय ध्वज।आज से रोज एक नए टैग

राष्ट्र ध्वज और किसी आम कपड़े में वही फर्क है को पत्थर और भगवान की मूर्ति में है। भगवान के मूर्ति या विग्रह का महत्व एक सच्चा भक्त ही समझ सकता है। उसी तरह राष्ट्र ध्वज का महत्व एक सच्चा देशभक्त ही समझ

ए वतन ,ए वतन हमको तेरी कसम ,तेरी राहों मे जां तक लुटा जाए गें।ए वतन ,ऐ वतन।"रामरती ईंटों के भट्ठे पर बैठी ईंट बना रही थी । नन्हा चीकू  मां के साथ बैठकर गारा मिट्टी से तरह तरह के खिलौने बना रहा था

विजयी विश्व तिरंगा हमारा।लगता है ये जान से प्यारा।।शान  कभी न  जाने   पाए।मान सभी हम  रखने पाए।।सभी  धर्म  के   लोग   यहां।आपस में मिलकर रहते जहा

योनि शब्द सुनकर बहुत से लोगों के मन में अश्लील और कामुक विचार उत्पन्न हुए होंगे| बहुत सी माता बहने मेरे लखन को अश्लीलता का नाम देंगी| गंभीर से दिखने वाले इस समाज में इन विषयों पर बात करना निषेध| लेकिन

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लोकतंत्र में अक्सर लोग इस भ्रम में रहते है कि, अपनी सरकार बेकार नहीं है और हाँ, इस बात को भली प्रकार से समझ भी लेना ... यहाँ पर बेकार का मतलब मलबे का ढेर (आलतू-फालतू सामान) नहीं बल्कि बेरोजगार लोगो से है या दूसरे अर्थ में कहें तो फालतू बैठे लोगो से है इसलिए इन लोगो को भ्रम होता है कि, बेचारी सरकार क

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