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रिश्ते,

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आज ससुराल से साली का फोन आयाबड़े मधुर स्वर में ससुराल आने का बुलावा आयासाली ने कहा बहुत दिन से नही मुलाकातआओ बैठकर करे जरा हंसी मज़ाक।।अगले दिन हम साली को मिलने घर से निकल गयेदो चार चॉकलेट लेकर ससुराल प

कुछ रिश्ते कच्चे होते हैंकुछ रिश्ते अच्छे होते हैंपर वक़्त पर जो साथ देंवो ही रिश्ते सच्चे होते हैं।       ©प्रदीप त्रिपाठी "दीप"             ग्वा

पौधा एक लगाया मैने!गमला खूब सजाया मैने!!जगह बनाकर खास रख लिया।उसको अपने पास रख लिया।।नए नए कोपल निकलेंगे।रंग बिरंगे फूल खिलेंगे।।फूलों से कमरा महकेगा।रंगीनियां लिए चहकेगा।।सरप्राइज़ सबको तब दूंगा।इसे

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जिंदगी बेहद मुख्तसर,इसकी रस्मे-अदायगी,गोया औरभी मुख्तसर...बन पड़ते हैं गाहे-बगाहे,शफकत-अखलाक केअवसर,खुलती हैं दिलों कीखिड़कियां,सबा आती है, मगर, पल भर,फिर वही, पुरानी सीवीरानगी...कमाल है, अपनों की दीवानगी...तहजीब की,फुलझड़ी सी रवानगी...बस चंद कतरे अल्फाज परोसिये, या फिर

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एक बार कि बात है एक कस्बे में पति औरपत्नी रहते थे, दोनों की उम्र 25 साल थी वो दोनों ही विवाह के लिए मानसिक रुप सेतैयार नहीं थे हालांकि दोनों की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी। दोनों ही सजातीय थे औरदोनों के परिवार एक ही गांव में रहते थे तो उनके परिवा

पुराने समय की बात हैनगर में सेठ ध्यानचंद रहते थे। वो अपने एक बेटे और पत्नी के साथ सुखमय जीवन व्यतीतकर रहे थे। उनकी दो बेटियां भी थी जिनका विवाह हो चुका था। उनके पुत्र का विवाह भीपड़ोसी शहर में रहने वाले कुलीन घर की कन्या से हुआ था। उनकी बेटे के भी दो छोटे –छोटे पुत्र थे।

ठीक 30 बरस की उम्रमें हैजे से उसकी मौत हो गई, गांव से शहर ले जाया गया उसे। इससे पहले कि उसेअस्पताल ले जाया जाता, यमराज ने उसकी जीवन यात्रा को स्वर्ग तक मोड़ दिया, शायदवहीं गया

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रिश्ता दिलों से होना चाहिए, मात्र शब्दों से नहीं ….मेरे सब रिश्ते मुझसे खफा खफा से रहते हैं, कुछ तो टूट फूट से गए हैं, कुछ सिर्फ नाम के रह गए। सबके साथ ऐसा है तो कमी मुझमें ही होगी,रिश्तों को निभाने की मैंने हमेशा ही इमानदार कोशिश की है मगर फिर भी ….शायद मुझे प्यार जताना नहीं आता, या शायद मैं रिश्तो

बिन विश्वास के रिश्ते बिन विश्वास के रिश्तों में, सफाईयां, सबूत चलते हैं। फिर भी रिश्ते कहां चलते हैं? ये हैं आज के शिशमहल जैसे, बड़े सुंदर दिखते हैं। नादान पत्थर फेंकने वालों से चोटिल हो जातें हैं। ये रिश्तों के कांच भला कितने दिन टिकते हैं? ये रिश्ते बड़े सुंदर दिखते हैं। ये चाइना के सामान की तरह

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सही कहा है किसी समझदार ने कि अपने तो फिर जी लेने दें लेकिन समाज में ' मैं कौन खामखां ' की मानसिकता वाले जान लेकर ही मानना चाहते हैं।माता-पिता भले ही मान लें-संतान बालिग है, अपना निर्णय लेने को स्वतंत्र है। जहां रहे खुश रहे । संतान ने भी सार्वजनिक रूप से माफ करने की गुहार लगा ली हो। भले ही अपने किए क

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हर लड़की के मन में कई सपने अपनी ससुराल को लेकर रहते हैं वह ससुराल में सबका दिल जीतना चाहती है, तो चलिए बस 5 आसान Tips द्वारा सभी ससुराल पक्ष के सदस्यों का दिल जीता जाये –1. हर रिश्ते को सम्मान और आदर दे –हर रिश्ते का आदर-सम्मान का पूरा ध्यान रखे, जिस तरह आप अपने मायके

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मेरे पुराने मित्र शर्मा जी किसी पुराने पंडित की तरह धर्म क्रियाओं के पीछे भागने वालों में नहीं हैं, वो तो अपनी ही कपोल-कल्पनाओं में गुम रहने वाले स्वतंत्र विचारों के प्राणी हैं। उनकी अर्धांगिनी जी भी उन्हीं के प्रकार की हैं मगर भिन्नता

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दाम्पत्य जीवन में प्राय: पारिवारिक विवादों के कैक्टस: स्वत: ही उग जाते हैं। कभी मां बेटे के कान भरती है, तो कभी बेटी मां के कान भरती है। आस पास पड़ोस में रहने वाली औरतें भी सास से बहु को सिर पर न चढ़ाने की सलाह देती रहती हैं। कभी नंद-भाभी तो कभी देवरानी-जेठानी आदि रिश्तों को कहीं न कहीं थोड़ी बहुत खटा

आप चाहे गांव या कस्बे के मध्यवर्गीय परिवार के पढ़े-लिखे व्यक्ति हों अथवा महानगर के किसी संपन्न कुलीन परिवार के सदस्य हों या फिर सामान्य आर्थिक स्तर के कोई अधिकारी अथवा व्यापारी, इस सत्य को मन-ही-मन स्वीकार कर लें कि दाम्पत्य जीवन की सफलता का सीध संबंध पति-पत्नि के आपसी रिश्तों से होता है। पति-पत्नि म

जैसे छींकने पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है। छींकते समय जैसे आंखे बंद हो जाती है वैसे ही महिलाएं भी चरमसुख के समय चाह कर भी आंखे नहीं खोल पातीं। दरअसल इस वक्त उनकी ग्लैंड से तरल स्त्रावित होता है जो दिमाग को आंखें बंद करने के लिए संदेश भेजता है।लवमेकिंग, दो विपर‍ित लिंग के बीच न सिर्फ एक इंटीमेसी बल्क

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प्रत्येक शख्स किसी खास मकसद से इस दुनिया में आया है, यदि आप सिंगल हैं तो इस का तात्पर्य यह है कि संभवतया अकेले रह कर ही आप अपना मकसद पा सकती हैं। तभी आप को सोच और परिस्थितियां इस के अनुरूप हैं यह भी हो सकता है कि आने वाले समय में आप स्वयं शादी के बंधन में बंध जाएं। मगर जब तक सिंगल हैं अपने इस स्टेटस

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सबके अपने-अपने तयशुदा सांचे होते हैं,इश्क भी सांचों की खांचों में फंसे होते हैं।मां-बाप, भाई-बहन, जोरू-सैंयां सब सांचे हैं,आप अच्छे जब सबके सांचों में ठले होते हैं।प्रेम, रूप-स्वरूप की आकृति से परे बेवा है,हम तो ईश्वर को भी पत्थरों में कैद रखते हैं।सफलता-विफलता के भी सरगम तय छोड़े हैं,रिश्तों की रागद

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