ताटंक छन्द16,14 की यति अंत 222 सेआरक्षण की बात करे जो, कब तक इसे बढ़ाओगे।जाति पाति का भेद-भाव ये, कब तक तुम दिखलाओगे।। आरक्षण जो रहा देश में, भेद नही मिट पायेंगे।चाहें जितनी कोशिश कर लो, इसमे ही बट जायेंगे।।
आखिर मैं क्यों ना करूं विरोध, इन राष्ट्रद्रोहियों का; स्वार्थ प्रेरित हो राष्ट्र की सुरक्षा भी, दांव पे लगा देते हैं जो।ऐसे लोगों का विरोध क्यों ना करूं मैं,जो सरकार का विरोध करने हेतु हाथ मिला लेते हैं , देश के दुश्मनों से।विरोध मैं अवश्य करूंगा, उन कथित विद्वानों का
काफी अरसे से अखबार पढ रही हूं। हर रोज देश दुनिया के बदलते रंग, ख्वाहिशे, मिज़ाज, लिबास, देख रही हूं। बदलती तारीखों में ना बदलती सोच देख रही हूं। अखबारों की स्याही सूख नहीं पाती कि स्याह खबर फिर दर्ज हो जाती है अख्बार के किसी कोने, कालम में। जिन मुद्दों से लाभ है सियासत को उन्हें सुलझाया नहीं उलझाय
नागरिकता संशोधन बिल डॉ शोभा भारद्वाजदिल्ली में जामिया मिलिया में स्टूडेंट के हिंसक प्रदर्शन देख कर हैरानी हुई प्रदर्शन किस लिए? क्या नागरिक संशोधन के बिरोध मेंलेकिन बिल से मुस्लिम समाज को क्या परेशानी है? वह किनके समर्थन के लिए हंगामा कर रहे हैं ? संसद के दोनों सदनोंमें लम्बी बहस के बाद लोकसभा एवं