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शब्द

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शब्द मीठे होते हैं,शब्द कड़वे होते हैं,शब्द चख चख कर ही बोलिये,क्योंकि शब्दों के स्वाद होते हैं।शब्द कोमल होते हैं,शब्द कठोर होते हैं,शब्दों को तोल मोल कर बोलिये,क्योंकि हर शब्द का घनत्व होता है।शब्द त

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मुझमें, मौन समाहित है✒️जब खुशियों की बारिश होगीनृत्य करेंगे सारेलेकिन,शब्द मिलेंगे तब गाऊँगामुझमें, मौन समाहित है।अंतस् की आवाज़ एक हैएक गगन, धरती का आँगन।एक ईश निर्दिष्ट सभी मेंएक आत्मबल का अंशांकन।।बोध जागरण होगा जिस दिनबुद्ध बनेंगे सारेलेकिन,चक्षु खुलेंगे तब आऊँगामुझमें, तिमिर समाहित है।वंद्य चरण

कलम शोर मचाती नहींशब्द गुनगुनाते नहींकिताबें पड़ी हैं मगर,किसी से पढ़ी जाती नहीं।लेखक हो मशहूरखर्चा पाते नहींलिखावट से इबादत कीमहक अब आती नहीं।कलम दुनिया बदल देंऐसा अब होता नहींप्रेमचंद लिए नए जूतेइसीलिए रोता नहीं।' सत्य ' स्वयं गुरूर मेंकलम चुभोता नहींअंतः कविता पेश हैकवि का भरोसा नहीं।

गीतापार्थ उठाओ शस्त्र तुम,करो अधर्म का अंत।रणभूमि में कृष्ण कहे,गीता ज्ञान अनंत।।कर्मयोग के ज्ञान का,अनुपम दे संदेश।गीता जीवन सार है,जिससे कटते क्लेश।।पतवारसाहस की पतवार हो,संकल्पों को थाम।पाना अपने लक्ष्य को,करना अपना नाम।।अक्षरअक्षर अच्युत अजर हैं, कण-कण में विस्तार।वही अनादि अनंत हैं,इस जीवन का स

मेरे बुझने पे जो तुम हंसने लगेचिराग हूँ, फिर जल जाऊंकुछ मशविरा ऐसा भी दो तो जानेमेरे मुरझाने पे जो तुम हंसने लगेफूल हूँ, फिर खिल जाऊंकुछ मशविरा ऐसा भी दो तो जानेमेरे टूटने पे जो तुम हंसने लगे शीशा हूँ , फिर जुड़ जाऊंकुछ मशविरा ऐसा भी दो तो जाने

शब्द शब्द गोली नहीं फिर भी घाव करती है शब्द गुड़ या चीनी नहीं फिर इनसे मीठे होते है। यह शब्द बोलने वाले के ऊपर निर्भर करता है कि वह इस शब्द को किस रूप में प्रयोग करना चाहता है।यह पत्रकारों का हथियार है,गरीब निसहाय के मुख की फरियाद है,शायरों की शायरी है, कवियों की कविता

चिरस्थायी शब्द का मतलब होता है ( टिकाऊ , ऐसी स्थिति या अवस्था जो लम्बे समय तक रहती है ) . इस शब्द का प्रयोग नकारात्मक व सकारात्मक दोनों भाव में ही संभब है . उदाहरण के लिए : 1. वह अपनी चिरस्थायी बीमारी से बिल्कुल परेशान हो चुका है . 2. राम इस बात स

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काकी माँ..**************************** काकी माँ तो सचमुच बड़े घर की बेटी हैं। संकटकाल में भी वक्त के समक्ष न तो वे नतमस्तक हुईं , न ही अपने मायके एवं ससुराल के मान- सम्मान पर आंच आने दिया । वे संघर्ष की वह प्रतिमूर्ति हैं ।*************************** काकी माँ..

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डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय'भाषापरिष्कार-समिति'केन्द्रीय कार्यालय, इलाहाबाद शब्द : भारी बहुमत से; प्रचण्ड बहुमत से; बहुत भारी बहुमत से; भयंकर बहुमत से--------------------------------------------------------ये सभ

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आप अजीब शब्द लगता है मुझे क्यूंकि जब लोग मिलते हैं तो अजनबी होते हैं तो आप बोलते हैं. . मगर तुम जब गुस्सा होते थे तब बोला करते , या फिर तब जब बहुत प्यार से बात करनी होती

हिंदी भाषा के अनुसार, हम जो हिंदी काम लाते हैं, उसे सुधारने का एक छोटा प्रयास। हम जो बोलना / कहना चाहते हैं, तो उच्चारण का ध्यान रखना आवश्यक है, तभी हमें सफलता मिलेगी, तब हम वो बोल पाएंगे। इसी तरह हम जो लिखना चाहते हैं, तो हम वही लिखें

कुछ कुछ - किस्त पहलीमेरी ओर से प्रयास, एक लघु कदम, मेरे हिंदी के ज्ञान में सुधार हेतु। जो भी हिंदी के जानकार हैं, विद्वान हैं, उनसे निवेदन है, आग्रह है की वो आगे आयें। इस कार्य में योगदान, सहयोग, सहायता करें। इस उद्देश्य के साथ लेख प्रक

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अजीब विरोधाभास है शब्दों में। अजीब द्वंद्व है शब्द भरोसे में, विश्वास में, आस्था में, घृणा में, प्रेम में। दरअसल शब्दों का कार्य है एक खास तरह के विचार को प्रस्तुत करना। किसी मनःस्थिति, परिस्थिती, भाव , वस्तु , रंग, दिशा, दशा, जगह, स्थान, गुण, अवगुण इत्यादि को दर्शाना। शब

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हिंदी हमारी मातृभाषा है, हिंदी शब्दों का ज्ञान हमें होना ही चाहिए| पर ना जाने कितने ही ऐसे भी लोग है जिन्हें हिंदी वर्णमाला तक नहीं आती | कितने ही हिंदी शब्द ऐसे है, जिनका उन्हें ज्ञान तक नहीं है| उनके लिए अंग्रेजी बोलना ज्यादा पढ़ा-लिखा महसूस करता है| वह हिंदी को हिन भाव से देखते है| यह बेहद अफसो

दिल-नशीं हर्फ़सुनने कोबेताब हो दिलकान कोसुनाई देंज़हर बुझे बदतरीन बोलक़हर ढाते हर्फ़नफ़रत के कुँए सेनिकलकर आते हर्फ़तबाही का सबबबनते हर्फ़भरा हो जिनमेंख़ौफ़ और दर्पतोकुछ तो ज़रूर करोगे.....कान बंद करोगे ?बे-सदा आसमान सेकहोगे-निगल जाओ इन्हेंयाभाग जाओगेसुनने सुरीला रागवहाँजहाँबाग़

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चित्र--- अपनी चिरपरिचित गर्वित मुस्कान के साथ कल्पना चावला --परिचय भारत की अत्यंत साहसी और कर्मठ बेटियों का जिक्र बिना कल्पना चावला के कभी पूरा नही होता | उन्हें भा

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शब्दनगरी प्रस्तुत करता है : जीवनी लेखन प्रतियोगिया 2018 किसी लेखक, रचनाकार या कवी के जीवनी के अन-छुए पहलुओं को प्रकाशित करे | किसी भी महान लेखकरचनाकार कवि या समाजसेवक

प्रेम क्या है????? ईश्वर का दिया वरदान मूर्त अमूर्त में होता विद्यमान कोमल, निर्मल, लचीला भाव लिपिबद्ध नहीं शब्दों से जिसमें अनन्त गहराई समायी। प्रेम सनातन है बडा नाजुक शब्द है शाश्वत, निस्वार्थ, निरन्तरता का नाम है सरल, सहज भरा मार्ग मायावी दुनियां से लेना देना नहीं अहंकार, कपट से वास्ता नहीं क्यो

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