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शिक्षक दिवस

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जीवन के रास्ते से गुजरते हुए मैं कईयों को देख द्रवीभूत हो जाता हूँ जिसके सपने सजते-सजते नील गगन के तारों की तरह बिखर गए जिसे संजोया जाना या पुनः एकत्रित करना असंभव सा महसूस होने लगा। जिसने जीवन के तमा

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प्रातः स्मरणेय शिक्षक वृंद के चरणों में कोटिशः नमन। गुरु का स्थान तो कबीरदास जी के इन दोहों से ही स्पष्ट हो जाती है:- गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय? बलिहारी गुरु आपकी, गोविन्द दियो बताय। वै

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गुरु का स्थान तो कबीरदास जी के इन दोहों से ही स्पष्ट हो जाती है:- गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय? बलिहारी गुरु आपकी, गोविन्द दियो बताय। वैसे तो इस अखिल ब्रम्हांड के सबसे बड़े गुरु शिव हैं। हर

ये कदम रुके नहीं,  अब कभी थके नहीं, आसमान की परिक्रमा ही  लक्ष्य है।  @नील पदम्  

कल की जैसे बात है,  नारी कमजोर जात है, पर कौन अब कहेगा,  ये अशक्त है।  @नील पदम्  

कट गईं हैं बेड़ियाँ,  सब हटी हैं रूढ़ियाँ, अब पुरुषों से आगे  मातृ-शक्ति है।   @नील पदम्  

सीढियां जो न चढ़ा,  रह गया वहीं खड़ा, वो देखते ही देखते विलुप्त है।  @नील पदम्   

वो करेंगे क्या भला, दो कदम जो न चला, जागने की हो घड़ी पर सुप्त है।  @नील पदम्  

माँ  प्रथम गुरु जो जन्म से पहले ही सिखातीगर्भ  में ही प्रेम की परिभाषा हमें समझातीजन्म के कुछ माह बाद मुस्कराना बतातीमाँ के घुटने प्रथम पाठशाला कहलाती।घर के सब परिजन बोलना चलना सिखातेपिताजी

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:भारत में शिक्षक दिवस को हर साल 5 सितंबर को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह खास दिन छात्रों के दिलों में बड़ा महत्व रखता है, क्योंकि यह डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद करता है, एक विद्वान, दर्शनि

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शिक्षक दिवस के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि सभी बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए केवल समग्र दृष्टिकोण पर जोर देने से ही संभव होगामंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि शिक्षकों का

प्यारे साथियों शिक्षक दिवस के इस पावन अवसर पर मैं.... आप सभी को शिक्षक दिवस की ढेरों शुभकामनाएं और बधाइयां देना चाहती हूं....। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर सर्व

अपने सभी सम्माननीय शिक्षकों को मैं सादर अभिवादन करती हूं जिन्होंने मुझ जैसे तुच्छ प्राणी को तराश कर समाज के योग्य बनाया ।सर्वप्रथम मेरे गुरू अम्मा पिताजी हैं, जिन्होंने जन्म के साथ ही संस्कारों की छाय

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शीर्षक --गुरु तुमको प्रणाम हे शिक्षक मेरे कैसे ऋण चुकाऊं मैंउस ज्ञान का जो आपने मुझे दिया खुद से मेरी पहचान करायाबार बार करूँ वंदन अपने गुरु का बिन गुरु मुझे कहाँ मिलता अक्षर का ज

सड़क पर पडा़, तो मारते हैं लात। मंदिर में खडा़, तो जोड़ते हैं हाथ। फर्क है नसीब का, एक है अशिक्षित, तो दूसरा है, पूर्ण शिक्षित,दीक्षित। गुरु का सानिध्य पा, लोग बनते हैं विद्वान, पाते हैं मान सम्मान। उ

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समाज के भविष्य को आकार देने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वे सिर्फ प्रशिक्षक नहीं हैं, बल्कि सलाहकार, प्रेरक और मार्गदर्शक भी हैं जो अपने छात्रों की परिपक्वता और विकास में महत्वपूर्ण

🕯🕯🕯🕯🕯🕯🕯🕯🕯🕯🕯🕯🕯🕯🕯 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस पूरे भारत में मनाया जाता है। सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन जिनका जन्म 5 सितंबर को हुआ था जो भारत के पहले उपराष्ट्रपति बने बाद में राष्ट्रपति पद पर

हमको जिसने लिखा हमको जिसने लिखने योग्य बनाया हम उसके विषय हम क्या लिख सकते हैं।कभी कभी जीवन में हम अपनी मांगी मुरादे पूरी होते देख यह सोचते हैं कि शायद भगवान को भी यही मंजूर है।लेकिन हम यह भूल जाते है

सदा रहे आशीष मेरे सिर, मेरी भूत, भविष्य, आज तुम ही हो।तेरे चरणों की रज मस्तक लगाकर , मेरे सारे काम संपूर्ण हो।।माता-पिता के बाद तुम्हीं हो , मेरे जीवन को जिसने संवारा है।गुरु मेरे ईश्वर तुम ही हो , तु

  पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था|अध्यापन पेशे के प्रति उनके प्यार और लगाव के कारण उनके जन्मदिन पर पूरे भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। वह अध्येता, राजनयिक

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