सावन आया सावन आया,मौसम बड़ा सुहाना लाया,पड़ गए झूले आम की डाल,झूलें सखियाँ बाहें डाल।नभ में काले मेह हैं छाए,मेघ देख है मन हरषाए,जोर शोर से बदरा बरसे,मन मेरा है नेह को तरसे।मन्द पवन चली पुरवाई,मौसम में
रेशम के धागे से बंधा,भाई बहन का प्यार।आया रक्षा बंधन देखो,राखी का यह त्यौहार।।प्यार देखो ऐसे संजोए,ये भाई और बहन का।करता वादा भाई ऐसे,बहन की रक्षा करने का।।मोल नहीं कोई भी देखो,इस प्यार भरे रिश्ते का।
मनभावन श्रावण पावस मास,शिव शंकर भोले बाबा का।दर्शन को आतुर भीर लगी,पावस मास शिव शंभु का।।मनभावन श्रावण पावस मास,बाघम्बर धारी शिव शंभु का।हाथों में सोहे त्रिशूल डमरू,सिर गंगे चंद्र त्रिकालदर्शी का।।मनभ
सावन आते ही कभी धूप तो कभी मूसलाधार बारिश से मौसम बड़ा सुहावना हो गया है। झमाझम बरसते बदरा को देख हरे-भरे पेड़-पौधों के बीच छुपी कोयल की मधुर कूक, आसमान से जमीं तक पहुँचती इन्द्रधनुषी सप्तरंगी छटा,
आषाढ़ मास समाप्तहो चुका है और आज से श्रावण मास आरम्भ हो रहा है और इस मदमस्त कर देने वाली रुतमें मेघराज अपनी प्रियतमा रत्नगर्भा को अपने अमृतरस की धार से आप्लावित करना नहींभूल रहे हैं, ताकि ग्रीष्म का ताप झेलती प्रेयसि वसुन्धरा पुनःप्रफुल्लित होकर और अधिक रत्नराशि अपने गर्भ में धारण कर सके... इसी माह म
सनातनी विधाता छन्द===============================१२२२ १२२२ १२२२ १२२२नज़ारे देखकर सावन बरसने मेघ आते हैं lशराफ़त देखकर उनकी तड़पते लोग जाते हैंllइमारत यह खड़ी कैसे पसीनें खून हैं उनके ,कयामत देखती दुनियाँ शराफ़त भूल जाते हैंllनज़ाकत वक्त का देखो कहर ढाते रहे नित दिन,तवायफ़ बन लुटी शबनम ग़रीबी को भुना
भोलेनाथ को प्रसन्न करने और उनकी पूजा करने के लिए श्रावण मास यानी सावन का महीना सबसे पावन माना जाता है। पूरे देश में 17 जुलाई से सावन का महीना मनाया जा रहा है और सभी भोलेनाथ के प्रति अपनी श्रद्धा भक्ति दिखाई है। 15 अगस्त को सावन का महीना खत्म होने वाला है और इसके पहले
बारिश आई, बारिश आईमौसम में ठंडक लाईकागज की इक नाव बनायेंचीटे को फिर सैर करायेंझड़ी जब खूब लग जायेगीबगिया मेरी खिल जायेगीभीगी सड़कें...भीगी पटरीवह निकली दादा की छतरीभीगो मिलकर आहिल-इमादबुखार को ज़रा रखना यादनिकले मेंढ़क औे" मजीरेफिसल न जाना चलना धीर
इस सावन जानिए शिवपूजा में बेलपत्र का महत्व..!!!सावन का पवन महीना चल रहा है ऐसे में हम आपको बता रहें है शिवलिंग की पूजा में क्या क्या चढ़ाना चाहिए।भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र प्रयोग होते हैं। बेलपत्र का बहुत महत्व होता है और इनके बिना शिव की उपासना सम्पूर्ण नहीं होती।👉🏻👉🏻👉🏻👉🏻 आइये जानते है ब
17 जुलाई से सावन का महीना शुरु हो गया है और सभी शिवजी की पूजा अराधना में लग गए हैं। सभी शिवालयों में शिवभक्तों ने रौनक जमानी शुरु कर दी है और भारत में जितने भी बड़े शिव मंदिर हैं वहां पर भक्तों ने अपनी-अपनी अर्जी लगाना शुरु कर दिया है। ऐसा ही एक मंदिर है वैद्यनाथ धाम (baidyanath dham) जो एक प्राचीन
सावन के झूले कलहरियाली तीज – जिसे मधुस्रवा तीज भी कहा जाता है – का उमंगपूर्ण त्यौहार है,जिसे उत्तर भारत में सभी महिलाएँ बड़े उत्साह से मनाती हैं और आम या नीम की डालियोंपर पड़े झूलों में पेंग बढ़ाती अपनी महत्त्वकांक्षाओं की ऊँचाईयों का स्पर्श करने काप्रयास करती हैं | सर्वप्र
कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में पुरे वर्ष में कुल 12 शिवरात्रियां आती है जिनमे से सबसे मुख्य महाशिवरात्रि को माना जाता है। लेकिन इसके अलावा भी एक शिवरात्रि है जिसे हिन्दू धर्म में बहुत श्रद्धा के
सावन और देवों के देव महादेव का गहरा नाता है। 2018 में सावन का महीना बेहद खास भी है। संक्रांति की गणना से सावन का महीना 16 जुलाई से ही आरंभ हो गया है लेकिन पूर्णिमा की गणना के अनुसार 28 जुलाई से सावन आरंभ हो रहा है और पहला सावन सोमवार 30 जुलाई को है। इस सावन में बेहद दुर्ल
हिंदू धर्म में सावन का महीना काफी पवित्र माना जाता है। इसे धर्म-कर्म का माह भी कहा जाता है। सावन महीने का धार्मिक महत्व काफी ज्यादा है। शास्त्रों के अनुसार बारह महीनों में से सावन का महीना विशेष पहचान रखता है। इस दौरान व्रत, दान व पूजा-पाठ
सावन का महीना शुरू होने वाला है| सावन का मौसम एक अजीब सा उत्साह ओर उमंग लेकर आता है। चारों ओर हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है और उसे देख कर सबका मन झूम उठता है। ऐसे ही सावन के सुहावने मौसम में आता है तीज का त्यौहार। श्रावण मास के शुक्ल
छलकी हैं बूँदें, छलकी सावन की ठंढी सी हवाएँ...ऋतु सावन की लेकर आई ये घटाएँ,बारिश की छलकी सी बूँदों से मन भरमाए,मंद-मंद चंचल सा वो बदरा मुस्काए!तन बूंदो से सराबोर, मन हो रहा विभोर,छलके है मद बादल से, मन जाए किस ओर,छुन-छुन छंदों संग, हिय ले रहा हिलोर!थिरक रहे ठहरे से
न कोई निमंत्रण, न ही कोई बुलावा। न कोई पोस्टर और न ही पम्फलेट का वितरण। न मुनादी और न किसी का आह्वान। बिना किसी अपील और उकसावे के युवा अपने घरों से निकलने को बेताब हैं। कहीं-कहीं से कांवरियों का जत्था रवाना भी हो चुका है। कांधे पर कांवर, गेरुआ वस्त्र पहने, कमर में इलाहाबाद की शान कहा जाने वाला गमछा।
सावन के बादल उमड़ -घुमड़ इतनी करते मन-मयूर नाच उठता कदम हैं थिरकते। धरती का आंचल हर दिशा हरा-भरा कर देते। कृषक,साहुकार,जन-सामान्य फलते-फूलते। नदी,तालाब,सिंधु,पोखर सब उमगते जीव-जंतु खुशहाल विचरते दिखते। बाल-वृन्द,नौजवान वृद्ध सब विहसते अपनी-अपनी तरह से खूब आनंद लेते। प्रकृति के रंग क्या अदभुत नित सवंर