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स्वार्थ

hindi articles, stories and books related to Swarth


5 मििजाने कितने वर्षों से वह बरगद का वृक्ष उस चौपड पर खड़ा अतीत की न जाने कितनी घटनाओं का साक्षी था, न जाने कितने जीव-जंतुओं, पथिकों की शरणस्थली था। आज उदासी से घिरा था, वर्तमान परिवेश में उसे अपने ऊपर आने वाले संकट का एहसास था, लोगों की बदली हुई मानसिकता ने उसे हिला

शब्द .....माेती भी हैं और पत्थर भी ,आरोप- प्रत्यारोप भी, हमेशा घिरे रहते हैं हम इनसे....,सीमाएँ बाँध कर भी ,जाे सीमित नहीं, वे ही ताे हैं शब्द, कभी उदास मन -में सूर्य की प्रथम किरण- सी ताज़गी और उमंग भर देते हैं ,ताे कहीं किसी की चीत्कार काे वहशी बन दबा देते हैं... काेई इन्हें ताेड़ -मरोड़ कर,

उत्तम क्षमा, सबको क्षमा, सबसे क्षमाक्षमावाणी पर्व का अपना एक अलग ही महत्व होता है। क्षमा पर्व हमें सहनशीलता से रहने की प्रेरणा देता है।अपने मन में क्रोध को पैदा न होने देना और अगर हो भी जाए तो अपने विवेक से, नम्रता से उसे विफल कर देना। अपने भीतर आने वाले क्रोध के कारण को

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