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हंसगति"

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हंसगति ( २० मात्रा ) शिल्प विधान --- ११,९= २० प्रथम चरण ११ मात्रा चरणान्त २१ से अनिवार्य"छंद हंसगति"जस वीणा रसधार भरी है माता।कर शारद उपकार भक्त का नाता।।नमन करूँ दिन-रात मातु मम भोली।भर शब्दों का ज्ञान सहज हो बोली।।-१झंकृत हों सब तार मृदुल धुन गाऊँ।छंद सृजन अनुसार राग अप

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