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gazal

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तेरे ग़म उठाने के लिए जिये जा रहा हूँ,तेरे दिए इन ज़ख्मों को सिये जा रहा हूँ,यूँ तो ऐ ज़िंदगी तुझसे शिकवे थे हज़ारों,फ़िर भी मैं जीने का मज़ा लिये जा रहा हूँ।           

मेरे दिल में अभी भी है, लेकिन किस्मत से निकल गयी है, कल राह में मिला था उससे, वो कितनी बदल गयी है.उसके हाथों में चुड़ियाँ, और मांग में सिंदूर देखकर, मेरी आँखें फटी की फटी रही,

छुट्टियों में हमसे कुछ नादानियां हो गई जिंदगी से जिंदगी की दूरियां हो गई

जिंदगी से जिंदगी की रजा है शायरीउसके  ख्यालों  की दुनिया है शायरी मोहब्बत में हार भी जीत ही तो हैउसकी निगाह की अदा है शायरीमयकदो  में  रिंदो की मय है जिंदगीउसके दीदार की मधुशा

मेरी आवाज को अता क्यों नही देते बुझ रहा हु मुझे , हवा क्यों नही देते दफ्न हूं नही, शबब क्यों नही देते, मर गया हूं तो जला क्यों नही देते

इस रोग की कोई तो दवाई दे देयार इस कबूतर को रिहाई दे दे हिज्र का कोई खास शबब तो ही नहीं,जाते जाते ही सही कोई निशानी दे देबर्बाद  मानो  तो  मैं  हो  ही  चुका,चल कोई नह

जिससे शिकायत है, उससे मोहब्बत है दर्द की दवाई में, दर्द ही इफाजत है हुस्न की अदावत में, प्रेम की सदाकत है इश्क के हुनर की बस यही नजाकत है

शब्दो में प्यार, महक रहा है आंखों में प्यार, झलक रहा है वो लड़की हसीना है बड़ी सयानी, दिल ये आवारा, पागल हो रहा है आंखों में आंखे है हाथो में हाथ, सांस थम रही है, दिल मचल रहा है

यहां हर किसी को ये सजा नही मिलतीप्यार करने वालो को वफ़ा नही मिलतीमोहब्बत तो क्या है, यहां जिंदगी से,जिंदगी  की  रज़ा  नही  मिलतीहै  अमीरी  फकीरों  पे  अब 

इतना   हमे   तुम ,   सताते   हो   क्यों?चलो अब चलो जाना, जलाते हो क्यों?हमारे  लिए  जो  खुदा ए मुकर्रर,गली  से हमारी,  बुलाते

लोग  हम  पे वो,  मुस्कुराने  लगेगीत हम जो, तुम्हारे तो गाने लगेकैसे इल्म  हुआ  कि मोहब्बत हमे,लोग देखो वो हमको समझाने लगेमयकदे में रकीवो से झगड़ा हुआ,जाम देखो वो हमको पिल

जिससे खौफ है क्यों न वो किया जाएचराग बुझ रहे है , इनको जलाया जाएहमे  दरिया,  लहरों  से  बात  करनी  है,सोचता हूं क्यों न किनारों को हटाया जाए दुकानों  से  ह

तेरे बगैर अब जिया नही जातातेरे बगैर अब  मरा  नही जाताउसकी नजरो मे एक मधुशाला,मदहोश हो पर, झूमा नही जाताजी  करता  है  हाथ  मिलाऊ,लेकिन फिर, छोड़ा नही जातामोम फिर कहीं पिघल

जान ए जाना, कोई गैर होगाइश्क  है  खता , जरूर होगातेरी आंखों की पीर भी पिघलेगी,तेरे सामने प्यासा, समंदर होगातू भी दौड़ा आएगा मयकदो की ओर,जब  कोई  दर्द  बे-कदर  होगातुम भी

जो भी था वो जो रिश्ता हमाराचलो  भूल  जाएं, रस्ता  हमारामहंगाई  के  इस  दौर  में,प्यार था महंगा दिल सस्ता हमाराघाव  पे  घाव  होते  गए,दवा थी महंगी

आंखों पे पट्टी बांधना भी क्या खूब हैनज़रे झुका के देखना भी क्या खूब हैखुद  की  कमियां  नजरांदाज करके,मगर दूसरो में ढूढ़ना भी क्या खूब हैमुरीद तेरे नाम का, वो क्यों बे-नाम है,मजलूम 

होठ बोलते है झूठ, आंख बैठी हुई है नमदिल  में  छुपाए  सच्च, क्यों रो रहे है हममौत की दुनिया में आए हुए है हम,वार  पे  वार  किए   जावे  बे-रहमजिस्म से रूह क

किताब ए मोहब्बत, पढ़ो धीरे-धीरेइजहार ए मोहब्बत, करो धीरे-धीरेमाना ! खूबसूरती की कयामत है वोदरिया  में   उतरो ,  ज़रा  धीरे - धीरेबे - तुकी  है ,  ज़माने   

तेरा मुझको अब क्यों, ख्वाब नही आताहाथो में मेरे अब क्यों, गुलाब नही आतातूफान बहुत चलते है, नटखट इस मन में,मगर  जाने  अब क्यों, सैलाब नही आताफिरता था इक चांद, मधु इन गलियों में,राहों  मे

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