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हे शिव-शंकर !!

8 फरवरी 2024

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article-imageसुख की खातिर मैं 
भटकी थी यहां-वहां 
पर हे शिव-शंकर 
सुख तो तेरे में साथ में 
जब भी नाम तुम्हारा 
जपती हूँ तो सुख सुनती हूँ 
अपनी ही आवाज़ में | 

सुकून की ख़ातिर 
भटकी थी इधर-उधर 
पर हे शिव-शंकर 
सुकून तो तेरे पास में 
जब भी मैं स्मरण 
करती हूँ तुम्हें तो 
सुकून पाती हूँ मैं 
अपने ही हर साँस में | 

सच्ची मुस्कान की खातिर 
मन भटका जाने कहाँ-कहाँ 
पर हे शिव-शंकर 
सच्ची मुस्कान खिलती मुख पर 
जब ये आँखें मेरी 
दर्शन तेरे पाती है 
प्रभु दर्शन तेरे पाकर 
रोम-रोम मेरी मुस्काती है | 

              - तीषु सिंह ‘तृष्णा’
मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत सुंदर लिखा है आपने 👌 आप मेरी कहानी प्रतिउतर पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏🙏

10 फरवरी 2024

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रचनाएँ
सीख ही सबक
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काव्य संग्रह, जो संकलन है भावनाओं और ज़िंदगी के तजुर्बों से जुड़ी कविताओं का...
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4 फरवरी 2024
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दोस्त

4 फरवरी 2024
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सुबह गुज़र गई है दिन अभी ढला नहीं और शाम आई नहीं तजुर्बा हमें भी तो कोई कम नहीं पर बुजुर्गों वाली वो खास बात अभी आई नहीं बीते चुके दौर ने इतना दिखा दिया&nbs

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कलम की स्याही

4 फरवरी 2024
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4 फरवरी 2024
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4 फरवरी 2024
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ना कोई ताला है ना कोई पिंजरा है तुम तो सिर्फ अपने मन में ही कैद हो ये जरूरी नहीं कि कि ऊंचे आकाश में पंख खोल उड़ जाओ पर कम से कम इतनी तो उन्मुक

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4 फरवरी 2024
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बड़ी अजीब है ये दुनिया अजीब-सी है दुनियादारी आधी दुनिया में फैली है भयंकर स्वार्थ की बीमारी स्वार्थ तो है ही भ्रम भी है अनंत काल तक जीने का खूबसूरत सा वहम भी है लोभ म

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हे ईश्वर !

4 फरवरी 2024
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हे शिव-शंकर !!

8 फरवरी 2024
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सुख की खातिर मैं भटकी थी यहां-वहां पर हे शिव-शंकर सुख तो तेरे में साथ में जब भी नाम तुम्हारा जपती हूँ तो सुख सुनती हूँ अपनी ही आवाज़ में | सुकून की ख़ातिर भटकी थी

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