( भीखू और चोखू ) दो बैल की कहानी प्रथम क़िश्त
भीखू और चोखू आज बहुत चिन्तित और उदास हैं । अंदर से दोनों परेशान हैं पर एक दूजे को दिलासा दे रहे हैं कि समय के साथ सब ठीक हो जाएगा ।
उनकी चिन्ता का कारण खलिहान में रखा ट्रेक्टर था। जिसे उनके मालिक गणेश ने कल ही खरीद कर लाया था । अब तक मालिक के खेत का काम भीखू और चोखू ही करते थे । खेत की जुताई से लेकर बियासी और फ़सल के कटने के बाद फ़सल को खलिहान तक ढुलाई तक का काम , वे दोनों ही करते थे । इसके बदले में उन्हें हरी घांस , अच्छा चारा और अच्छा दाना मालिक खुशी खुशी देता था । मालिक की नज़रों में उन दोनों के लिए बड़ी ही इज़्ज़त भी थी । ट्रेक्टर के घर आने के बाद उनको इस बात का डर लग रहा था कि अब सारा काम ट्रेक्टर करेगा तो हमारी उपयोगिता नगण्य हो जाएगी । तब हमें न अच्छा चारा दिया जाएगा न ही हमें इज़्ज़त दी जाएगी ।
आपस में दोनों चर्चा कर ही रहे थे कि उतने में उनका चरवाहा किसुन आ गया। वह भी ट्रेक्टर को देखकर ठिठका फिर नाक भौंव सिकोड़कर भीखू और चोखू को अपने साथ नित्य की तरह गौठान की ओर ले चला । रस्ते में भीखू ने किसुन से कहा कि ट्रेक्टर के आने से हम तो बेरोज़गार हो जाएंगे । हम जब बेरोज़गार हो जाएंगे तो तुम्हारा भी काम यहां से समाप्त हो जाएगा। जवाब में किसुन ने कहा कि भीखू तुम लोग इतने चिन्तित क्यूं हो? एक काम छूटेगा तो दूसरा काम मिल जाएगा । भगवान ने हमें जब धरती पर भेजा है तो कुछ सोच समझ कर ही भेजा होगा । वह हमारे दाना पानी का भी इंतजाम करेगा । जीवन में बदलाव तो आते रहेंगे बदलाव को खुशी खुशी स्वीकार करके अपना रस्ता बनाना पड़ता है ।
जून का महीना समाप्ति की ओर था । गनेश ट्रेक्टर लेकर अपनी खेत की ओर चल दिया । भीखू और चोखू उसी तरह गौशाला में बंधे रहे। उन्हें बहुत बेकार लग रहा था कि जिस काम को हम इतने लंबे समय से करते आ रहे हैं । उस काम को हमारे हाथों से छीनकर एक मशीन के हाथों सौंपा जा रहा है । भला मशीन को कहां समझ रहती है कि धरती की मिट्टी कितनी कड़ी या मुलायम है । कहां पर ज्यादा ज़ोर लगाना है और कहां पर कम ताक़त लगानी है । वह तो एक मशीन है वह तो बस एक मशीन की तरह काम को निपटाता होगा ।
उधर गनेश संध्या में घर लौटा तो वह बहुत खुश नज़र आ रहा था । एक ही दिन में उसके समूचे खेत की जुताई हो गई थी और बुआई के लिए तैयार हो गया था । जबकि भीखू और चोखू के द्वारा सारे खेत की जुताई करने में 10 दिन लगता था । घर लौटने के बाद भीखू और चोखू की ओर देखा भी नहीं और अपने कमरे के अंदर चला गया ।
भीख़ू ने तत्काल ही चोखू को कहा कि देखो हमारा मालिक किस तरह हमारी उपेक्षा कर रहा है । ऐसे ही चलते रहा तो कल हमें दाना पानी भी नहीं देगा और आगे चलकर हमें किसी कसाई के हाथों बेच देगा । तब चोखू ने कहा वह ट्रेक्टर से जमीन की जुताई तो कर लेगा लेकिन हमारे द्वारा जो उसे खाद प्राप्त होता है , उसे ट्रेक्टर से कहां प्राप्त होगा । जवाब में भीखू ने कहा कि आजकल बाज़ार में रेडिमेड खाद उपलब्ध है। जिसके उपयोग से पैदावार भी बहुत ज्यादा होता है , ऐसा बहुत सारे लोग कहते हैं । तब चोखू ने कहा कि फिर तो हमारा कोई उपयोग खेती के काम में रहा नहीं । इसके अलावा और कोई काम तो हमें आता नहीं, अत: इस दुनिया में हमारे रहने का उद्देश्य ही कहां बचा । इस तरह सोचते सोचते भीखू और चोखू बहुत परेशान होने लगे कि आखिर हम करें तो करें क्या ? अगर दुनिया में हमारी कोई पूछ परख ही नहीं तो हमारे जीने का क्या मतलब ? ऐसा सोचते सोचते वे एक दिन निर्णय लेते हैं कि चलो नदी में डूबकर हम आत्महत्या कर लेते हैं ।
( क्रमशः)