हिन्दी पञ्चांग
मंगलवार, 16 अक्टूबर 2018 – नई दिल्ली
विरोधकृत विक्रम सम्वत 2075 / दक्षिणायन
शारदीय नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएँ
सूर्योदय : 06:22 पर कन्या में / चित्रा नक्षत्र
सूर्यास्त : 17:50 पर
चन्द्र राशि : धनु 25:08 तक, तत्पश्चात मकर
चन्द्र नक्षत्र : पूर्वाषाढ़ 18:22 तक, तत्पश्चात उत्तराषाढ़
तिथि : आश्विन शुक्ल सप्तमी 10:16 तक, तत्पश्चात आश्विन शुक्ल अष्टमी / सप्तम नवरात्र / देवी के कालरात्री रूप की उपासना / महालक्ष्मी पूजन / दुर्गा पूजा आरम्भ (बंगाल) / औली प्रारम्भ (जैन)
करण : वणिज 10:16 तक, तत्पश्चात विष्टि 23:31 तक, तत्पश्चात बव
योग : अतिगण्ड 07:49 तक, तत्पश्चात सुकर्मा
राहुकाल : 14:57 से 16:22
यमगंड : 09:16 से 10:41
गुलिका : 12:06 से 13:32
अभिजित मुहूर्त : 10:44 से 12:29
अन्य : शुक्र तुला में वक्री
विशेष : आश्विन शुक्ल सप्तमी, मंगलवार 16 तारीख़ से ही जैन मतावलम्बियों का नौ दिवसीय औली पर्व भी आरम्भ हो रहा है जो 24 अक्टूबर को सम्पन्न होगा – इसे नवपद ओली भी कहा जाता है | जितना महत्त्व जैन मत में पर्यूषण पर्व का है उतना ही नवपद औली का भी है | इस नौ दिन की आराधना में भी पर्यूषण पर्व की ही भाँति आत्मशुद्धि का प्रयास किया जाता है इस प्रकार पर्यूषण पर्व की ही भाँती नौ दिवसीय ओली आराधना भी आत्मकल्याण का सर्वोत्कृष्ट साधन है | इसे नवपद इसलिए कहा जाता है कि इसमें नौ पदों में आराधना की जाती है | जिसमें प्रथम दिवस अरिहन्त पद की आराधना के नाम से जाना जाता है, द्वितीय दिवस सिद्ध पद, तृतीय दिवस आचार्य पद, चतुर्थ दिवस उपाध्याय पद, पञ्चम दिवस साधु पद, षष्ठ दिवस सम्यक दर्शन, सप्तम दिवस सम्यक ज्ञान, अष्टम दिवस सम्यक चरित्र और अन्तिम तथा नवम दिवस तप पद की आराधना के लिए समर्पित होता है | इन समस्त आराधनाओं का सम्यक विधान होता है | इसी से स्पष्ट होता है कि आत्मशुद्धि तथा आत्मनिर्माण की दिशा में कितना अधिक महत्त्व है ओली आराधना का |