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इंद्रधनुष

30 जनवरी 2024

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 इंद्रधनुषके रंगों से रची ,प्रभु तुम्हारी सृष्टि रंगीन , 

धरा पर फैली हरियाली , मन को करती नित - नवीन।  

  

नित सुबह सूर्य , हर जन को नयी उम्मीद दे जाता है , 

हर प्राणी के उर में आशा का भाव जगाता है।  

  

कल - कल करती नदिया मदमस्त बहती जाती है , 

आयें कितनी भी बाधाएँ , न रुकने का संदेश दे जाती है।  

  

शीश उठाये पर्वतराज महानता दिखलाता है , 

न झुके कभी भी , हर प्राणी - मात्र को समझाता है।  

  

पक्षियोंका कलरव वातावरण आनंदित करता है , 

ख़ुश रहें हम सदा , ये सुनिश्चित करता है।  

  

प्रभु तुम्हारी लीला का न कोई पार है , 

प्रभु तुम्हारी लीला , सदा अपरंपार है।   


 ©अलका बलूनी पंत  

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