किसान का जीवन कितना साधा
मेहनत में निकलता है दिन आधा
मिलती नही इन्हें श्रमिक कि मजदूरी
कितनी बेबस है इनकी मजबूरी
अपना हक पाने को करते है यह आंदोलन
इन पर अत्याचार करते है कानून
राजनीती में इनका कोई बोलबाला नही
सब कहते है खेती के बिना इनका कोई
गुजारा नही सरकार करती है इनपर अन्याय
कोई तो करो इन किसानो पर न्याय
इन्होंने अपने व अपने बच्चों के
लिए क्या -क्या सपने सजाएं
आओ हम सब मिलकर इनका
नया घर बसाए इनके सपने को
साकार बनाएं