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Itihasa

मनीषा सिंह इतिहासकार

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इतिहास से हम अपने स्वर्णिम अतीत से अवगत होते है एवं परवाजपूर्वजो द्वारा राष्ट्र धर्म हित में बलिदानी का स्मरण कर उन्हें श्रद्धांजलि देने का अवसर मिलता है । हमारे भारतवर्ष की दो सौ वर्ष की परतंत्रता के घनघोर काले बादल ने हमारे मन में हीनता उत्पन्न कर दिया हैं की हमें जो भी दिया है अंग्रेजो ने दिया है हमारे इतिहास कभी स्वर्णिम नहीं था बस इसी सोच को बदलना है और सत्य को सामने लाने की चेष्ठा होगी मेरी । इतिहास से जानने और सीखने को बहोत कुछ है सीखने को हमें ये मिलेगा पूर्वजो की कौनसी गलती की वजह से हम परतंत्रता की जंजीरों में जकड़े और इतिहास से सिख लेकर हम भविष्य को सुधारने का प्रयास करेंगे ।  

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