दमा के रोगियों को सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है। दमा रोग में श्वास नलिकाओं में सूजन और विकार आ जाता है जिस कारण नलिका सिकुड़ जाती है और इसके वजह से फेफड़ो में सूजन हो जाती है और कफ जम जाता है। दमा का ठीक समय पर इलाज ना करवाने से यह बहुत गंभीर समस्या बन जाती है। दमा रोगियों को घबरावट,घरघराहट,सीने में जकड़न और और खांसी आती है।
दमा रोग के लक्षण
दमा के लक्षण दो प्रकार के होते है-
1-बाहरी अस्थमा- यह एलर्जी के कारण होने वाली प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया है। जो कि पराग कण,जानवरों,धूल,प्रदूषण के कारण बाहरी कारणों से होता है।
2-आंतरिक अस्थमा- यह रोग श्वास द्वारा रसायनिक तत्वों को अंदर ले जाने के कारण से होता है। सिगरेट का धुआं,पुराने टायरों के जलाने का धुआं आदि इसके कारण होते है।
दमा रोग धीरे धीरे उभरता है| पहले श्वास नलिका मे दोष उत्पन होते है जिसे रोगी को श्वास लेने में हल्की समस्या होती है| धीरे-धीरे समय बढ़ने के साथ में सांस नलिका का मार्ग विकारों के कारण सिकुड़ता जाता है और यह गंभीर समस्या हो जाती है| जिससे रोगी को सांस लेने में बड़ी मुश्किल का समाना करना पड़ता है।
दमा रोग के कुछ लक्षण निम्न है-
1.सीने में जकड़न महसूस होना
2.सांस फूलना और सांस लेने में कठिनाई महसूस होना
3.सांस लेते वक्त और बोलते समय घरघराहट की आवाज आना।
4.थोड़ा मेहनत करने पर थकान महसूस होना
5.तेजी के साथ सांस लेना
6.सूखे बलगम के साथ या सूखी खासी होती है|
7.रोगी का मानसिक तौर पर चिड़चिड़ा होना थका महसूस करना|
8.सर्दी के समय अत्यधिक छिके आना, नाक बहना, खासी और सिरदर्द होना|
दमा रोग के कारण
दमा रोग अनेक कारणों से हो सकता है, जिसमें से हमारे आस-पास का वातावरण खास मायने रखता है-
1-यह मौसम एलर्जी, इत्र, खाद्य पदार्थो और बदबूदार वातावरण कारण हो सकते है|
2.कोकरोच, दीमक और अन्य कीड़ो के एलर्जी के वजह से भी हो सकता है।
3.वायु प्रदूषण भी दमा होने का एक कारण होता है।
4.कुछ खाद्ध पदार्थ जिनके सेवन से भी दमा रोग होता है जैसे-अंड़े,मछली,गाय का दूध,मूंगफली इत्यादि।
5.दमा रोग भावनात्मक दबाव, वायु प्रदुषण, संक्रमण और अन्य अनुवांशिक कारण हो सकते है|
6.अधिक धूम्रपान का सेवन करना भी इस रोग का कारण है।
7.एस्पिरिन जैसी कुछ दवाइयां भी दमा रोग का कारण बन सकती है।
8.अधिक व्यायाम से सांस फूलने के कारण यह रोग होता है।
9.आनुवंशिकी भी दमा होने का एक प्रमुख कारण होता है।
5.वृक्ष और घास के पराग कण का सांस द्वारा अंदर जाकर श्वास नलिका में जम जाना|
6.तीव्र सर्दी और मौसम बदलाव भी एक कारण हो सकता है|
7.पारिवारिक इतिहास जिन बच्चों की माता पिता को दमा का रोग है उन बच्चों को 80 से 95 प्रतिशत दमा रोग होने चांस होता है|
8.धुम्रपान या धुम्रपान वाले वातावरण में रहने के कारण भी दमा हो सकता है|
9.मोटापा जो सभी रोगों का भंडार होता है मोटापा भी दमा का कारण हो सकता है|
10.पुराना खाना खाना या समय पर खाना न खाना भी एक दमा होने का कारण हो सकता है|
दमा रोग का इलाज क्या है?
दमा रोग होने का कारण एलर्जी है अगर आपको सही समय पर पता चल जाएं कि आपको किन वस्तुओं से एलर्जी है तो आप दमा से काफी हद तक बच सकते है। अगर आपको सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो डॉक्टर से सलाह ले सकते है। दमा रोग के इलाज के लिेए आपको कुछ दवाइयों का सेवन करना पड़ सकता है जो निम्न है-
1-स्टेरॉयड और एंटी-इन्फ्लेमेटरी ड्रग
2-ब्रोंकॉडायलेटर्स
3-शार्ट एक्टिंग इन्हेलर
4-लांग एक्टिंग इन्हेलर
5-अस्थमा नेब्यूलाइजर
इन्हेलरों की सहायता से दवाएं आपके श्वास नली तक पहुंचकर दमा रोगियों के लिए काफी मददगार साबित होती है।नेब्यूलाइजर दवाओं को तरल रुप से भाप में बदल देता है जिससे दवाइयां आसानी से फेफड़ो तक पहुंच जाती है।
दमा रोग से बचाव के लिए क्या करें?
दमा की बीमारी से लाखों लोग पीड़ित है यह एक एलर्जी की समस्या है और दमा के रोगियों का काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। दमा पीड़ित रोगियों को समुचित और संतुलित आहार लेना चाहिए। भोजन को पर्याप्त समय देकर करना चाहिए।
1. ऐसे भोजन का प्रयोग करे जो हमारे शरीर की प्रतीक्षा प्रणाली को मजबूत बनाए।
2. ठंडी और प्रदूषित वाले स्थान पर जाने से बचें|
3. आप योग या हल्का व्यायाम कर सकते है|
4. फेफड़ो की जकड़न दूर करने के लिए गर्म पानी में पीना और स्नान करना लाभकारी माना जाता है।
5. दमा पीड़ित रोगी को ताजे फल या जूस का सेवन करना चाहिए|
6. रोगी को अधिक तेल-मसालों से बने भोजन से परहेज करना चाहिए।
7. ठंडे पेय पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।
8. दमा रोग के रोगी को तेज मसाले, आचार, मिर्च और अधिक चाय काफी से बचना चाहिए|