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मेरी बंदगी पे इतनी इनायत करले ऐ खुदाकी मुंतज़िर-ऐ-ज़िंदगी को उनकी मौसिकी से नजात मिल जाए ये मेरी तिशंगी है ना की नादान सी खवैशे उनके तज्वर किजो कभी पूरी हो नहीं सकती....।।।- जास्मिन बहुगुणा