जिस पहर से पढने-
शहर गये हो ;
तन्हाईयों से ये -
घर आँगन भर गये हैं |
उदासियाँ हर गयी है -
घर भर का ताना - बाना ,
हर आहट पे तुम हो -
अब ये भ्रम पुराना ;
जाने कहाँ वो किताबे तुम्हारी -
बन प्रश्न तुम्हारे-मेरे उत्तर गये है !!
झांकती हूँ गली में-
लौटे बच्चों की टोली,
याद आ जाती तुम्हारी -
सूरत सलोनी भोली ;
तुम्हारा लौट आना -
अतीत में वो पहर गये हैं !!
सजा लिया आँखों में -
नया सुहाना सपना ,
चुन लिया है तुमने -
आकाश नया अपना ;
उड़ान है नई सी -
उगे अब पर नये हैं !!
तन्हाई में रंग भरता -
अतिथि बन आना ,
सजाता है पल को -
इस घर का वीराना;
खिल जाती है बहना -
नैन ख़ुशी से भर गये हैं !!
चिड़िया सी नहीं मैं -
तुम्हे गगन में उड़ा दूँ ,
ना नम नयना करूं -
ख़ुशी से मुस्कुरा दूँ ;
बहुत थामा दिल को -
बन नैन निर्झर गये है !!!!!!!
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