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कहानी : ‘टेढ़ी लकीर’ का सार / इस्मत चुग़ताई

16 फरवरी 2016

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टेढ़ी लकीर खुद इस्मत आपा की कहानी मालूम होती है! जब ये छप के आई तो लोगो ने इसे क्रिटीसाइज़ करते हुए कहा था कि ये किसी जेहनी तौर पर बीमार एक लड़की की कहानी मालूम देती है और हो न हो ये खुद इस्मत चुगताई का जिंदगीनामा है| इस पर इस्मत आपा ने कहा कि वो इस उपन्यास के मुख्य किरदार शम्मन के काफी करीब हैं ओर लिखते समय उन्होंने खुद इस किरदार को जिया है| सच्चाई जो भी हो, हर महान कृति में उसके रचनाकार की थोड़ी या ज्यादा जिंदगी शामिल होती ही है


शम्मन की कहानी उसके पैदा होने के साथ शुरू होती है| एक भरे पूरे परिवार में उसका जन्म हुआ पर उसके मामूली रंग रूप की वजह से कोई तवज्जो न दी जाती| गंदी, बेतरतीब,और मिट्टी खाने वाली शम्मन को सिर्फ अपनी आपा से प्यार था और पढाई लिखाई से नफरत| जब उसकी वही आपा शादी करके उसे छोड़ गईं तो वो उनके खाविंद कि मौत कि दुआएं मांगती रही| धीरे धीरे उसकी उम्र परवान चढ़ी और आपा का भरम टूटा| गाँव के स्कूल से शहर का स्कूल-हॉस्टल और इसी बीच सपनों जैसे खूबसूरत पल और दिल को चकनाचूर कर देने वाले हादसे पेश आये| सहेलियों से मोहब्बत और जंगें, लड़कों से जान पहचान, अपनी सबसे खास सहेली के पिता से मोहब्बत का इज़हार और अगले ही दिन उनकी मौत कि खबर अखबार में पढ़ना, उसके इस सफर के शुरुआती मील के पत्थर थे| फिर वो कालेज में आई और वहाँ एक क्रन्तिकारी विचारों वाले टीबी से ग्रसित छात्र से मोहब्बत कर बैठी और जिस्मानी और रूहानी मोहब्बत के सवालों से उलझती रही| कालेज की राजनिति से में अहम किरदार बनी रही| कालेज से निकलने के बाद शम्मन एक खस्ताहाल कौमी स्कूल में प्रिंसिपल की कुर्सी सम्भालती है| स्कूल के बेईमानी से भरे बोझिल वातावरण को वो अपनी उदासीनता के साथ झेलती रहती है| इस बीच उसके टीबी से ग्रसित प्रेमी के साथ उसका प्रेम एक नया आयाम लेता है पर उसकी परिणिति तब होती है जब खुद उसकी बीवी उसका कच्चा चिटठा खोलती है| इस सब से तंग आ कर शम्मन एक अनजाने सफर पर निकल जाती है और इसी सफर तब जाकर खत्म होता है जब उसकी मुलाकात एक जिद्दी स्काटिश फौजी से होती है और कुछ समय बाद दोनों शादी कर लेते हैं| पर ये बेमेल शादी उनकी काफी जद्दोजहद के बावजूद, कुछ उसके बदलते हुए स्वभाव और कुछ परिस्थितियोंवश नहीं चलती है और इस कहानी का अंत तब होता है जब शम्मन का शौहर उसे छोड़ कर विदेश चला जाता है और वो अकेली रह जाती है दिल में पछतावा और पेट में उसकी निशानी लिए!

 
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रचनाएँ
ismat
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प्रख्यात लेखिका इस्मत चुगताई की चयनित रचनाएं...
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इस्मत चुग़ताई / जीवन-परिचय

16 फरवरी 2016
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उर्दूसाहित्य की सर्वाधिक विवादास्पद और सर्वप्रमुख लेखिका इस्मत चुग़ताई उम्दाकहानीकार रही हैं जिन्होंने अपनी रचनाओं के जरिये महिलाओं के सवालों को नए सिरे सेउठाया। इस्मत चुग़ताई का जन्म: 21 जुलाई,1915, बदायूँ (उत्तर प्रदेश) में हुआ था| उल्लेखनीय है कि उन्होंनेनिम्न मध्यवर्गीय मुस्लिम तबक़ें की दबी-कुच

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कहानी : लिहाफ़ / इस्मत चुग़ताई

16 फरवरी 2016
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(कहानी लिहाफ़ के लिए लाहौरहाईकोर्ट में इस्मत चुग़ताई पर मुक़दमा भी चला जो बाद में ख़ारिज हो गया)जबमैं जाडों में लिहाफ ओढती हूँ तो पास की दीवार पर उसकी परछाई हाथी की तरह झूमतीहुई मालूम होती है। और एकदम से मेरा दिमाग बीती हुई दुनिया के पर्दों मेंदौड़ने-भागने लगता है। न जाने क्या कुछ याद आने लगता है। म

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कहानी : हिन्दुस्तान छोड़ दो / इस्मत चुग़ताई

16 फरवरी 2016
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’साहब मर गया जयंतराम ने बाजार सेलाए हुए सौदे के साथ यह खबर लाकर दी। 'साहब- कौन साहब? 'वह कांटरिया साहब था न? 'वह काना साहब- जैक्सन। च-च-बेचारा।मैंने खिडकी में से झांक कर देखा। काई लगी पुरानी जगह- जगह से खोडी हैंसी की तरहगिरती हुई दीवार के इस पार उधडे हुए सीमेंट के चबूतरे पर सक्खू भाई पैर पसारेमराठी

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कहानी : ‘टेढ़ी लकीर’ का सार / इस्मत चुग़ताई

16 फरवरी 2016
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टेढ़ीलकीर खुद इस्मत आपा की कहानी मालूम होती है! जब ये छप के आई तो लोगो ने इसे क्रिटीसाइज़करते हुए कहा था कि ये किसी जेहनी तौर पर बीमार एक लड़की की कहानी मालूम देती हैऔर हो न हो ये खुद इस्मत चुगताई का जिंदगीनामा है| इस पर इस्मत आपा ने कहा कि वोइस उपन्यास के मुख्य किरदार शम्मन के काफी करीब हैं ओर लिखते

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कहानी : भाभी / इस्मत चुग़ताई

16 फरवरी 2016
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भाभीब्याह कर आई थी तो मुश्किल से पंद्रह बरस की होगी। बढवार भी तो पूरी नहीं हुई थी।भैया की सूरत से ऐसी लरजती थी जैसे कसाई से बकरी। मगर सालभर के अंदर ही वो जैसेमुँह-बंद कली से खिलकर फूल बन गई। ऑंखों में हिरनों जैसी वहशत दूर होकर गरूर औरशरारत भर गई। भाभी आजाद फिजाँ में पली थी। हिरनियों की तरह कुलाँचें

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