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Karan Singh Sagar ( डा. करन सिंह सागर) के बारे में

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Karan Singh Sagar ( डा. करन सिंह सागर) की पुस्तकें

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Karan Singh Sagar ( डा. करन सिंह सागर) के लेख

आ गयी है ज़िंदगी

23 जनवरी 2021
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आ गयी है ज़िंदगीआ गयी है ज़िंदगी ऐसे पड़ाव पर कहना है अलविदा अपने आप से रिश्तों के तानेबानेलगने लगे हैं बेज़ार से मिलना है जिनसे आख़िरी बार हैं कुछ पास तो कुछ हैं, दूर होगी उनसे बातया मुलाक़ात मालूम नहीं थमने को हैं साँसेबस इंतेज़ार में आ गयी है ज़िंदगी ऐसे पड़ाव पर २८ नवंबर २०२०दिल्ली

काश तुम होते पास

23 जनवरी 2021
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काश तुम होते पास काश तुम होते पास पहलू में रख कर सिरदिल का ग़ुबारहल्का कर लेते काश तुम पास होते पहलू में रख कर सिर आँखों के सैलाब में मन के मलाल को बहा देतेकाश तुम पास होते पहलू में रख कर सिर इजहार दिल का हाल कररंजीदगी, कुछ कम कर लेते काश तुम होते पास १ दिसंबर २०२०दिल्ली

पालक झपकते ही

23 जनवरी 2021
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पलक झपकते ही पलक झपकते ही ओझल हो गया था जो हक़ीक़त अब सपना बन गया रहता था साथ जोअब याद बन गया होती थी रोज़ गुफ़्तगू अब ख़्याल बन गया था हो बशरअब रूह बन गया पलक झपकते ही ओझल हो गया १ दिसंबर २०२०दिल्ली

दिल में अपने

23 जनवरी 2021
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दिल में अपने झाँक कर देखा तो तेरा चेहरा नज़र आता हैनिगाहों में मेरी तेरा ही अक्स उभर आता है बातों में मेरी तेरा ही ज़िक्र सुनाई आता है अजनबी है तूफिर भी ना जाने क्यों जाना पहचाना सा नज़र आता है ३ दिसंबर २०२०दिल्ली

नज़र आया

23 जनवरी 2021
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नज़र आया इश्क़ के आइने में देखा चेहरा तेरा नज़र आया दिल के दर्पण में देखा अक्स तेरा नज़र आया नज़रों के झरोख़े में देखा रूप तेरा नज़र आया बस गए हो तुम इस तरह ज़ेहन में खुद में भी बस तसव्वुर तेरा नज़र आया ५ दिसंबर २०२०दिल्ली

जानता हूँ मैं

23 जनवरी 2021
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जानता हूँ मैं चिल्ला देता हूँ तुम पर कभी जानता हूँ कि तुम समझ जाओगी मेरी दशा और नहीं करोगी मुझे खुद से दूर रो लेता हूँ तुम्हारे सामने जानता हूँ कि तुम दोगी मुझे तसल्ली नहीं समझोगी कमजोरहँस लेता हूँ तुम्हारे साथ जानता हूँ कि तुम बाँटोगी मेरी ख़ुशी नहीं करोगी रश्क़दर्द अपना कर लेता हूँ तुम से साँझाजान

अनकही बातों को

23 जनवरी 2021
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अनकही बातों को अनकही रहने दो जीने दो इसी भ्रम मेंप्यार ना किया ज़ाहिर तुमने भी और मैंने भी के तेरे भी वो ही हालात हैं जो मेरे हैंअनकही बातों कोअनकही ही रहने दो जीने दो इसी भ्रम मेंधड़क रहा है मेरा दिल तेरे सीने मेंतेरा दिल मेरे पास है अनकही बातों को अनकही ही रहने दो र

तू मिल कर भी ना मिला मुझसे

23 जनवरी 2021
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तू मिल कर भी ना मिला मुझे मैं मिले बिना भी तेरा हो गया तू ना समझा कोई बात मेरी मैं तेरे एक इशारे को दिल से लगा बैठा तू दिल्लगी करता रहा मैं दिल लगा बैठा तुझसे तू अपनी मंज़िल की तरफ़ बढ़ गया मैं उसी राह मेंतेरे इंतज़ार में बैठा रहा तू मिल कर भी ना मिला मुझसे २२ दिसंबर २०२०दिल्ली

कोशिशें

23 जनवरी 2021
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कोशिशें हज़ार क़ींदर्द अपना छुपाने कीज़ख़्म इतना गहरा थाकि, मुस्कुराहट के पीछे भीरंजीदगी छुप ना सकी कोशिशें हज़ार क़ींआंसुओं के सैलाब को रोकने कीभरा था दिल इतना मगर आँखों के बाँध भी उसे बहने से रोक ना सके कोशिशें हज़ार क़ींयादों को दफ़नाने की प्यार बेंतिहा था मगर कब्र से भी लौट आयी यादें मुझे सताने

चक्रव्यूह

23 जनवरी 2021
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सवालों और जवाबों के चक्रव्यूह में फँस गयी है ज़िंदगी कल क्या हुआ कल क्या होगा यह मेरा है, वो तेरा इन्ही, सवालों और जवाबों के चक्रव्यूह में फँस गयी है ज़िंदगी दुनिया क्या कहेगी यह सही वो ग़लत यह अच्छा वो बुरा इन्ही, सवालों और जवाबों के चक्रव्यूह में फँस गयी है ज़िंदगी २३ जनवरी २०२१जिनेवा

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