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Kavita chaudhary के बारे में

पुरस्कार और सम्मान

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-03-26
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-03-07

Kavita chaudhary की पुस्तकें

कविता की कलम से

कविता की कलम से

इस पुस्तक मे आओ मिले जुले विषयों से सम्बंधित कविताएँ पढेंगे। जैसे कि समाजिक, पारिवारिक इत्यादि ।

29 पाठक
33 रचनाएँ

निःशुल्क

कविता की कलम से

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इस पुस्तक मे आओ मिले जुले विषयों से सम्बंधित कविताएँ पढेंगे। जैसे कि समाजिक, पारिवारिक इत्यादि ।

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Kavita chaudhary के लेख

अर्जुन सी मेरी आँख

3 अप्रैल 2022
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अर्जुन सी मेरी आंख मंजिल से हटती नही बाधाएं अब दिखती नही मुश्किले अब टिकती नही अर्जुन सी मेरी आँख क्षण भर भी झपकती नही ये सफलता की घूमती मछली आँख से घूरती मुझे मै आँख मे आँख डाल क्रोध से घूरती उसे अर

बाँझ की ममता

3 अप्रैल 2022
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ममता से भरी आँखे तरसती प्यार लुटाने को बाहों मे भर कर नन्हा बचपन तरसती रोज झुलाने को गोदी मे खेले कोई नटखट थपकी दे सुलाने को हृदय संग लगाकर उसको गा-गा लोरी सुनाने को पीछे-पीछे भागूँ उसके निवाला एक ख

वृक्षारोपण

2 अप्रैल 2022
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हे, कन्हैया आज फिर तुम आ जाओनिर्वस्त्र हो रही धरती की लाज बचा लोइस युग के अधर्मी मानवों के हाथों धरती को वृक्ष हरण से तुम बचालोये अधर्मी मानव कर रहा है बार-बार आज धरा के वस्त्रों को ता

एक गुप्तचर

2 अप्रैल 2022
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भेजा राम ने एक गुप्तचरजाओ प्रजा के बीच जाओदेखो कैसी दशा प्रजा कीआकर मुझको हाल सुनाओगया गुप्तचर भेस बदलनगर नगर घूमा रात भरलिया हाल प्रजा के मन काहिल गया अन्त:स्थल दिल कापहुँचा राजा राम के सम्मुखमौन धार

अराधना

30 मार्च 2022
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पर्याप्त है मेरे लिये बस एक ही आराधना माँ है आराध्य मेरी करुँ उन्ही की अर्चना ममतामयी स्पर्श से हर लेती जो हर दुख मेरा करुणामयी दृष्टी से हर लेती सन्ताप मेरा आराधना कर जोड़ करूं मै माँ का प्रतिरूप

उम्मीद

30 मार्च 2022
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मै अन्धेरो मे उजाला ढूंढ़ती हूँ तुफाँ मे सहारा ढूंढती हूँ । भटक रही जो मझधार मे उस कश्ती का किनारा ढूंढ़ती है। उजड़ी हुई बस्ती मे कोई इमारत महफूज ढूँढती हूँ मैं टूटती हुई दीवारों मे कोई दीवार मज

विदेश यात्रा

30 मार्च 2022
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बड़ी मुश्किल से इकठ्ठा किये थे थोड़े से रूपये जमा किये थे जमीन बेच कर सारे रूपये एजेंट को समर्पित किये थे बेटी को विदेश भेजने के बाप ने सारे इन्तजाम किये थे महीनो धक्के-मुक्के खाए थे ऑफ़िसो के चक्कर

मै शायर गुमनाम

26 मार्च 2022
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मैं शायर गुमनाम हूँ मुझे गले लगा लो शायरी की दुनिया में मेरा नाम करा दो मेरे लिखने मेरे पढ़ने का कोई मोल नही आओ ना, तुम मुझे अनमोल बना दो मै शायर..... यूँ तो मुझे चाहने वाले है बहुत लेकिन तुम पढ़

बिक रहा इन्सान

26 मार्च 2022
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दिल बिक रहे है लोग बिक रहे है दौलत की दलदल मे सब फँस रहे है। कहीं आंतकवादियों की भीड़ लगी है कहीं नेताओं की नेतागिरि है एक सामने से तलवार चलाता दूसरा कुर्सी का लाभ उठाता। लोग ऐसे बिक रहे है जैसे चौरा

राम सिया सा इश्क

26 मार्च 2022
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चलो ना राम सिया सा इश्क करे हम धरा पे प्रेम का प्रतिमान बने हाथ पकड़ मेरा तुम ले जाना वन मे मै जोगन बन सदा चलूँ तुम्हारे संग मे काँटा ना कोई चुभने दूँगी तेरे पग मे मै अपना आँचल बिछा दूँ तेरे पथ मे मै

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