“कुंडलिया”
आगे सरका जा रहा समय बहुत ही तेज।
पीछे-पीछे भागते होकर हम निस्तेज॥
होकर हम निस्तेज कहाँ थे कहाँ पधारे।
मुड़कर देखा गाँव आ गए शहर किनारे॥
कह गौतम कविराय चलो मत भागे-भागे
करो वक्त का मान न जाओ उससे आगे॥
महातम मिश्र गौतम गोरखपुरी
मै महातम मिश्रा, गोरखपुर का रहने वाला हूँ, हाल अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ |