ढूँढते हैं तुम्हें जब भी, किसी महफिल में जाते हैं
सिवा तेरे हाल ए दिल औरों को, हम ना बताते हैं
ढूँढ़ने का सबब तुमको, जो कोई पूछे यहाँ हमसे
कई बरसों की शनासाई है, फ़कत हम ये जताते हैं
प्यार नज़रों से मिलता है, जुबां से फूल झरते हैं
बोल मीठे तेरे दिल को हमारे, कुछ ऐसे सुहाते हैं
लुटा के प्रेम की दौलत, हमे तुमने जो लूटा है
गुलामी मान कर तेरी, हम भी सर को झुकाते हैं
मिला जो तेरे पहलू में वो सुख , मधुकर ना भूलेंगे
तेरे सपने खुली अंखियॊं में हम, अब भी सजाते हैं
Tushar Thakur
13 दिसम्बर 2018Thanks For sharing such a amazing article, i really love to read your content
regulearly.
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शिशिर मधुकर
13 दिसम्बर 2018धन्यवाद ......