जय हो- अमर सृजन हो
दग्ध मानवता- रक्षित हो
अष्टपाश- सट् ऋपु मुर्छित हों
''नवचक्र'' आह्वाहन जागृत हों
कीर्तित्व उजागर - बर्धित हों
शंखनाद् प्रचण्ड, कुण्डल शोभित हों
कवि का हृदयांचल अजर - अमर हो
जय हो! 'वीणा वादनी' की जय हो!!
🙏 डॉ. कवि कुमार निर्मल 🙏
जय हो- अमर सृजन हो
दग्ध मानवता- रक्षित हो
अष्टपाश- सट् ऋपु मुर्छित हों
''नवचक्र'' आह्वाहन जागृत हों
कीर्तित्व उजागर - बर्धित हों
शंखनाद् प्रचण्ड, कुण्डल शोभित हों
कवि का हृदयांचल अजर - अमर हो
जय हो! 'वीणा वादनी' की जय हो!!
🙏 डॉ. कवि कुमार निर्मल 🙏
अवतरण: 1:30 उपरान्ह, विजया नवमी (वृहष्पतिवार) १९५०, पड़रौना, उत्तर प्रदेश, भारतवर्तमान स्थाई आवास: बेतिया (पश्चिम चंपारण) बिहारभु. पु. चिकित्सा वरीय पदाधिकारीपश्चिम बंगाल व बिहार सरकार स्वास्थ्य सेवाएम (आगे पढ़िये ...)