👁️👁️👁️👁️👁️👁️👁️👁️शरहद की ओर तकने वालों केसंग 'खून की होली' वीर खेलते।शरहद की ओर तकते वालों केसंग खून की होली बाँकुणे खेलते।।कौन धृष्ट कहता "एल. ओ. सी."की तरफ न भारतीयों तुम देखो!शरहद पार कर हमने खदेड़ापुलवामा को जा जरा देखो!!'सोने की चिड़िया' को अरेबहुतो ने सदियों था नोचा।संभल गये अब हम- ब
*गुम हो गए संयुक्त परिवार**एक वो दौर था* जब पति, *अपनी भाभी को आवाज़ लगाकर* घर आने की खबर अपनी पत्नी को देता था । पत्नी की छनकती पायल और खनकते कंगन बड़े उतावलेपन के साथ पति का स्वागत करते थे । बाऊजी की बातों का.. *”हाँ बाऊजी"* *"जी बाऊजी"*' के अलावा दूसरा जवाब नही होता था ।*आज बेटा बाप से बड़ा हो गया
'कलाकृतिश्रष्टाओं' को नमन् है।''प्रतिमा'' का 'विसर्जन गलत है।।सगुण साधना का प्रथम चरण है।ईश्वरत्व हेतु "अंत: यात्रा" तंत्र है।।🙏 डॉ. कवि कुमार निर्मल 🙏
जीवन की रामकहानी कितने ही दिन मास वर्ष युग कल्प थक गए कहते कहते पर जीवन की रामकहानी कहते कहते अभी शेष है || हर क्षण देखो घटता जाता साँसों का यह कोष मनुज का और उधर बढ़ता जाता है वह देखो व्यापार मरण का ||सागर सरिता सूखे जाते, चाँद सितारे टूटे जाते पर पथराई आँखों में कुछ बहता पानी अभी शेष है ||एक ईं
💐💐 "एतवार पर एतबार" 💐💐 समेट पलकों को रखूँ कहाँ? पलकों को कैद तुमने जो कर रखा है। खुला है सदा- दरवाज़ा दिल का,दिल में एक कोना महफूज़ तेरा रखा है।।💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐काश हमें बाजू से--हर गुज़रने वालों की--अनसुनी धड़कनों का--जरा भी अहसास होता।दुजों के लबों पे--आए मुस्कान बस--ये हमारा मुक
'कलाकृतिश्रष्टाओं' को नमन् है।''प्रतिमा'' का 'विसर्जन गलत है।।सगुण साधना का प्रथम चरण है।ईश्वरत्व हेतु "अंत: यात्रा" तंत्र है।।🙏 डॉ. कवि कुमार निर्मल 🙏
DOGMA NO MORE MOREपरंपरा अंधविश्वास का पुष्ट कारण भी हो सकता है।मेरे पुर्वजों ने चुंकि ऐसा किया,अतयेव मुझे भी करना चाहिए---गलत है।उस समय की अवस्था क्या 【?】 थी,यह उनके सामयिक सिस्टम के अनुकूलऐसा कुछ हो रहा होगा, परन्तु आज वहगलत भी हो सकता है, गलत है सरासर- समय के प्रतिकूल।"सती प्रथा" कभी धर्मिक मान्य
मैं कई गन्जों को कंघे बेचता हूँएक सौदागर हूँ सपने बेचता हूँकाटता हूँ मूछ पर दाड़ी भी रखता और माथे के तिलक तो साथ रखता नाम अल्ला का भी शंकर का हूँ लेताहै मेरा धंधा तमन्चे बेचता हूँएक सौदागर हूँ ...धर्म का व्यापार मुझसे पल रहा हैदौर अफवाहों का मुझसे चल रहा है यूँ नहीं
बीत गये दिन शांति पाठ के,तुमुल युद्ध के बज उठे नगाड़े।विश्व प्रेम से ओत - प्रोत आजपश्चिम उत्तर से वीर दहाड़े।।विश्व बंधुत्व महालक्ष्य हमारा,नहीं बचे एक भी सर्वहारा।जातिवादिता और आरक्षण हटाओ।यह चक्रव्यूह तोड़ मानवता लाओ।।हर घर तक अन्न पहुचाँ कर हीं,हे मानववादियों! अन्न खाओ।।शांति तो श्मशान में हीं होती
इस बार अक्टूबर का पूरा महीना व्रत-त्यौहार के नाम है. हिन्दू पंचांग के अनुसार इस महीने में बड़े-बड़े त्यौहार और व्रत मनाये जायेगे. इस महीने में बड़े पर्व में नवरात्रि, दशहरा, दीपावली जैसे त्यौहार है. महीने के शुरुआती दिनों में ही माँ दुर्गा के नवरात्री उत्सव मना रहे है. नवरात
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