कल मिलुँगा मैं तुझे,
किस हाल में (?)
कोई कहीं लिखा पढ़-
कह नहीं सकता।
नसीब के संग जुटा हूँ-
ओ' मेरे अहबाब,
अहल-ए-तदबीर में मगर,
कोताही कर नहीं सकता।।
के. के.
कल मिलुँगा मैं तुझे,
किस हाल में (?)
कोई कहीं लिखा पढ़-
कह नहीं सकता।
नसीब के संग जुटा हूँ-
ओ' मेरे अहबाब,
अहल-ए-तदबीर में मगर,
कोताही कर नहीं सकता।।
के. के.
अवतरण: 1:30 उपरान्ह, विजया नवमी (वृहष्पतिवार) १९५०, पड़रौना, उत्तर प्रदेश, भारतवर्तमान स्थाई आवास: बेतिया (पश्चिम चंपारण) बिहारभु. पु. चिकित्सा वरीय पदाधिकारीपश्चिम बंगाल व बिहार सरकार स्वास्थ्य सेवाएम (आगे पढ़िये ...)