हर बार सच्चाई की सफाई देना जरुरी नहीं.
कभी कभी सही वक्त सब कुछ
साफ कर देता है
अपने आप ही.
सूरज को ढकने
की कोशिश करता है
बादल हर कभी, लेकिन उसे रोशनी देने
से रोक सका है
क्या वो कभी.
शिल्पा रोंघे
हर बार सच्चाई की सफाई देना जरुरी नहीं.
कभी कभी सही वक्त सब कुछ
साफ कर देता है
अपने आप ही.
सूरज को ढकने
की कोशिश करता है
बादल हर कभी, लेकिन उसे रोशनी देने
से रोक सका है
क्या वो कभी.
शिल्पा रोंघे
पत्रकार, लेखक, ब्लॉगर, कवि, विभिन्न न्यूज चैनल में सबएडिटर के तौर पर काम करने का अनुभव और वेबमीडिया में फीचर ल (आगे पढ़िये ...)