अग्नि मे तपकर, सोने की पहिचान होती है।नन्नी सी जान, देश की शान होती है।यही ज्योति सबके घर की उजाला होती है।नन्नी सी गुड़िया दिल की तारा होती है।।यही सम्मान यही दिल की जान होती है।नन्नी सी जान देश की शान होती है।।1।।ये ना समझ नादान, इनक
येसु फिर आओ ★★मसीहा फिर आओ★★येसु! बार - बार आ कर आलोक फैलाओअँधेरा छाया- फिर से ज्योत बिखराओतुमने सदा प्यार बाँट शुभ संदेश दिया हैहमने बँट कर नफ़रतभरा अंजाम दिया हैचमत्कार फिर दिखला कर होश में लाओप्रायश्चित और प्रार्थना का मार्ग बताओयेसु! बार - बार आ कर आलोक फैलाओअँधेरा छाया- फिर से ज्योत बिखराओडॉ.
वहीं खड़े है वृक्ष सभी तनकर.वहीं खिल रहे है फूल सुंगध फैलाकर.सदियों से वहीं खड़े पर्वत विशाल.उसी समुद्र में जाकर मिल रही तरंगिणी.उसी डाल पर बैठा है पक्षी घरौंदा बनाके,उसी नभ में उड़ रहा है पंख फैलाकर.कुछ नहीं बदलता नवीन वर्ष के साथ हां बस संकल्प निश्चित ही हो जाते है दृढ़.बीते वर्ष में मिली सीखें मा
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