हालातो ने उसे हर जगह घसीटा हैं |
जिंदगी मेे जश्न नही फिर भी वो जीता हैं |
हमदर्दी का हाथ मिलाने मे वो अब डरता हैं
दुध का जला हैं साहब,
छाछ भी फूंक - फुंक कर पीता हैं |
हालातो ने उसे हर जगह घसीटा हैं |
जिंदगी मेे जश्न नही फिर भी वो जीता हैं |
हमदर्दी का हाथ मिलाने मे वो अब डरता हैं
दुध का जला हैं साहब,
छाछ भी फूंक - फुंक कर पीता हैं |
https://hindiist.blogspot.com/?m=1,https://hindiist.blogspot.com/?m=1
आलोक सिन्हा
27 जुलाई 2020सुन्दर