एक बार गोष्टियों में यह बात हुई। असली मित्र कौन? बहस बेबात हुई।। धमासान चला वर्षों वाक् युद्ध। अंत में निष्कर्ष यही निकला शुद्ध।। मित्रता की सोंचे वो है पगला। हम हैं तो कोई मित्र बने हमारा।। हम न रहे लो श्मशानधाट हमारा।। साँसों के तार का ताना-बाना, जीवन हीं परम मित्र हमारा।।। मुलाकात जिंदगी से पहली बार हुई, न हुआ अहसास, न वैसा दिमाग था। दुसरी मुलाकात हुई राह चलते, दर्दों का न कोई पारावार था।। मुलाकात होती रही बार-बार, मिलना हआ बेहद आसान, कुछ बहाना- करना कॉल था। अपने - पराये का मन में-- न कभी आया ख्याल था।। कभी भूख खातीर था हंगामा, पर प्यारा सा माँ का हाथ था। कभी खेल-कूद की मस्ती, नुक्कड़ पर अटका रहता प्राण था।। दिमागी खुराक मिलती रही, दुनिया के तिलिस्म का-- हुआ कुछ-कुछ अन्दाज था। चाँद-तारों से भरा सर पर-- खुला हुआ आसमान था।। समझ न आया सबक सारा, मालिक का दिया नेह भरा काम था। कुछएक लकिरें उकेर डाली, शरहदों के पार गया नाम था।। मुलाकात का शिलशिला, जद्दोज़हद सह खुशगवार गुजर गया। कुछ पाके बेसक- हुई बहोत खुशी-- कुछ खोके ना हुआ नासाज़ था।। रक़ीब सारे, अज़ीज हबीब बन गए, नफ़रत का नामो-निशान न था। महफ़ील जब भी सजी-सवँरी, फरिस्तों में लिखा गया नाम था।। सच कहूँ दोस्तों? साहील ओ' हर मुक़ाम चलता साथ-साथ था। कवि अकेला न रहा कभी, हमदर्द काफ़िले का साथ था।।
साप्ताहिक प्रतियोगिता में "प्रथम" सर्वोतकृष्ठ चयनित रचनासमुह का नाम:- साहित्यिक मित्र मंडल जबलपुर ( एम. पी.)पटल संख्या: १-२-३-४-५-६-७ एवम् ८संपर्क:- 9708055684 / 7209833141शीर्षक: आँखों के किनारे ठहरा एक आंसू💧💧💧💧💧💧💧💧💧💧आँखों के किनारे ठहरा एक आंसूभक्तों का सर्वश्रेष्ठ धन है गिरते आंसू🌹🌹🌹
त्रिभुवनपति कारा में जायोदेवकी की कोख से त्रिभुवनपति कारा में जायोअमावस की रात थी काली सो कृष्ण वो कहलायोगोरो भोत लला म्हारो- कारा में जोत बिखरायोसंकट देख मथुरा में- जमुना पार बासुदेव पहुँचायोनंदलाल गोप यशोदा गोद उठा छाती से चिपकायोपालण म माँ को मुख मांय सकल जग दिखायोगोकुल को नटखट लड्डु गोपाल बहुत
सावनलद्द-फद्द मदहोश हो-छा गये दिलोदिमाग परखुशियों का सावनलिख दिया बुझते वज़ूद परलुट-लुटा के मुकम्मलजब होश आ झकझोरानासाज़ हुए बेहिसाबकज़ा की बरसात झेलकरडॉ. कवि कुमार निर्मल
अब नहीं रहा.....NO more...ईश्वर की लीला ईश्वर ही जानें..देता है तो जी भर देता हैलेता है तो कमर तोड़ देता हैपरीक्षा भी लेता है तो कितना कठिन, दुष्कर, प्राणघातकसबकुछ छीन लेता है- प्राण तकजिसने सबकुछ झेलाकभी कुछ न बोलाउफ़ तक न कियासँभलने का समय आया तोउसी के साथ इतना बड़ा अन्यायआखिर क्यों...?क्या इस क्यों.
रात बेखबर चुपचाप सी है आओ मैं तुम्हे तुमसे रूबरू करवाउंगी मेरे डायरी में लिखे हर एक नज्म के किरदार से मिलाऊँगी मैं तुम्हे बतलाऊँगी की जब तुम नहीं थे फिर भी तुम थे जब कभी कभी दर्द आँखों से टपक जाती थी ..... कागजों पर एक बेरंग तस्वी
वंशी की वह मधुर ध्वनि... जी हाँ, यदि हम अपने चारों ओरकी ध्वनियों से – चारों ओर के कोलाहल से मुक्त करके मौन का साधन करते हुए अपनेभीतर झाँकने का प्रयास करें तो कान्हा की वह लौकिक दिव्य ध्वनि हमारे मन में गूँजसकती है... ऐसी कुछ उलझी सुलझी भावनाओं के साथ आज स्मार्तों और कल वैष्णवों कीश्री कृष्ण जयन्ती क
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳जय हिन्द🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🌏 🌎 🌍 ।।धरा विचलित है।। 🌎 🌏 🌏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳धरती माता की पीड़ा- अकथनीय- अतिरेकआर्यावर्त भू - खण्ड संकुचन! भारतीय चेतपच्चहत्तरवें वर्ष में प्रवेश, विश्व-गुरु बन देखवंदे मातरम् अंगिभूत कर दासता भाव फेंकदिवनिशि धरती
परसों यानीपन्द्रह अगस्त को पूरा देश स्वतन्त्रता दिवस की वर्षगाँठ पूर्णहर्षोल्लास के साथ मनाएगा... अपने सहित सभी को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक बधाईऔर शुभकामनाएँ... स्वतन्त्रता –आज़ादी – व्यक्ति को जब उसके अपने ढंग से जीवंन जीने का अवसर प्राप्त होता है तोनिश्चित रूप से उसका आत्मविश्वास बढ़ने के साथ ही
🎉🎉🎉 कृष्णावतार"🎉🎉🎉🐾🐾🐾🐾🐾🐾🐾🐾🐾कृष्ण जन्माष्टमी कृष्ण भक्त हर्षित हो मनाते हैं।"कृष्ण लीला" आज हमआप सबको सुनाते हैं।।कारागृह में 'द्वितीय महासंभूति'का अवतरण हुआ।दुष्ट कंस का कहर,साधुसंतों का दमन हुआ।।जमुना पार बासु यशोधा के घर कृष्ण को पहुँचाये।'पालक माँ' को ब्रह्माण्ड मुख गुहा में प्रभु
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