🌳🌳🌷🌺🌺🌺🌷🌳🌳 कहानी फूल की तुझे आज सुनाता हूँ मत जाना कहीं-आद्योपांत सुनाता हूँ ऊँचे दरख़्त झूम- झूम कर ताज़िन्दगी, छाँव-बतास ओ' गुल- फल लुटाते हैं! वख्त की मार कहूँ या तूफानों से धिर, गीर-पड़ उखड़ निर्जीव हो जाते हैं!! डालें टुंग-टुंग कर मानव दो शाम, असंख्य चुल्हें जल-
जठराग्नि बुझाते हैं! राख का ढ़ेर बन मिट्टी में
मिल-मिट जाते हैं!! दरख़्त की जड़ें फिर से
पनप उग पसर जाती हैं!! 🌳🌲🌴 🍃🥀🥀🥀🍃🌴🌲🌳 माँ-बाप भी आज-कल
बेजान दरख़्त बन, अश्रु दो-चार भी नहीं बहा रे पाते हैं! रवानगी की कज़ा देख झेल कर भी, मुस्कराते हुए कहीं गुम हो जाते हैं!! परागण से कलि खिलने तक की देवों के सर पर चड़ इतराने की सुरबाला को सजा महकाने की पैरों तले कुचल मसले जाने की कहानी का सार तुझे सुनाता हूँ पंखुड़िया सूख कर झड़ जाने की इत्र बन खुशबुएं फैला लुटाने की धूल संग उड़ दूर कहीं जाने की फूल एक था अद्भुत ब्रह्म कमल काल चक्र की बात मैं बताता हूँ कहानी फूल की तुझे आज सुनाता हूँ मत जाना कहीं-आद्योपांत सुनाता हूँ 🌷🌺🌹🌷🏵️🌷🌹🌺🌷
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳जय हिन्द🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🌏 🌎 🌍 ।।धरा विचलित है।। 🌎 🌏 🌏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳धरती माता की पीड़ा- अकथनीय- अतिरेकआर्यावर्त भू - खण्ड संकुचन! भारतीय चेतपच्चहत्तरवें वर्ष में प्रवेश, विश्व-गुरु बन देखवंदे मातरम् अंगिभूत कर दासता भाव फेंकदिवनिशि धरती
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳जय हिन्द🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🌏 🌎 🌍 ।।धरा विचलित है।। 🌎 🌏 🌏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳धरती माता की पीड़ा- अकथनीय- अतिरेकआर्यावर्त भू - खण्ड संकुचन! भारतीय चेतपच्चहत्तरवें वर्ष में प्रवेश, विश्व-गुरु बन देखवंदे मातरम् अंगिभूत कर दासता भाव फेंकदिवनिशि धरती
पिछले कुछ दिनोंसे बरखा रानी लगातार अपना मादक नृत्य दिखा दिखा कर रसिक जनों को लुभा रही हैं... और पर्वतीय क्षेत्रों में तो वास्तव मेंग़ज़ब का मतवाला मौसम बना हुआ है... तन और मन को अमृत रस में भिगोतीं रिमझिमफुहारें... हरित परिधान में लिपटी प्रेयसि वसुंधरा से लिपट उसका चुम्बन लेते ऊदेकारे मेघ... एक ओर अपन
कान्हां आयोकृष्ण मथुरा जमुना पार आयोगोकुल जा बहुत रे धूम मचायोसथियन संग सारो माखन चुरा खायोगइयन को सारे दिन गोपाल चरायोबांसुरियां धुन सुन जग बउरायोगोपियन को प्यारो बहोत भायोदेवकी माता को कन्हिया जायोयशोदा पलना डाल झुलायोकालिया नाग को मार भगायोगोबरधन उठा इंद्र को हरायोमामा कंस को बहुत डरायोपूतना क
रात बेखबर चुपचाप सी है आओ मैं तुम्हे तुमसे रूबरू करवाउंगी मेरे डायरी में लिखे हर एक नज्म के किरदार से मिलाऊँगी मैं तुम्हे बतलाऊँगी की जब तुम नहीं थे फिर भी तुम थे जब कभी कभी दर्द आँखों से टपक जाती थी ..... कागजों पर एक बेरंग तस्वी
💐💐"जिंदगी से मुलाक़ात"💐💐मुलाकात जिंदगी से पहली बार हुई,न हुआ अहसास, न वैसा दिमाग था।दुसरी मुलाकात हुई राह चलते,दर्दों का न कोई पारावार था।।मुलाकात होती रही बार-बार,मिलना हआ बेहद आसान,कुछ बहाना- करना कॉल था।अपने - पराये का मन में--न कभी आया ख्याल था।।कभी भूख खातीर था हंगामा,पर प्यारा सा माँ का हाथ
🎉🎉🎉 कृष्णावतार"🎉🎉🎉🐾🐾🐾🐾🐾🐾🐾🐾🐾कृष्ण जन्माष्टमी कृष्ण भक्त हर्षित हो मनाते हैं।"कृष्ण लीला" आज हमआप सबको सुनाते हैं।।कारागृह में 'द्वितीय महासंभूति'का अवतरण हुआ।दुष्ट कंस का कहर,साधुसंतों का दमन हुआ।।जमुना पार बासु यशोधा के घर कृष्ण को पहुँचाये।'पालक माँ' को ब्रह्माण्ड मुख गुहा में प्रभु
वंशी की वह मधुर ध्वनि... जी हाँ, यदि हम अपने चारों ओरकी ध्वनियों से – चारों ओर के कोलाहल से मुक्त करके मौन का साधन करते हुए अपनेभीतर झाँकने का प्रयास करें तो कान्हा की वह लौकिक दिव्य ध्वनि हमारे मन में गूँजसकती है... ऐसी कुछ उलझी सुलझी भावनाओं के साथ आज स्मार्तों और कल वैष्णवों कीश्री कृष्ण जयन्ती क
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