19 अक्तूबर 2020
गीतमधुमास के दिनों की, कुछ याद आ रही है।महकी हुई फिजाएं, मनको लुभा रही है।जब फूल-फूल तितली, खुशबू बिखेरती थी।महकी हुई हवाएं, संवाद छेड़ती थी।कोयल सदा वनों में, हैं राग प्रीत गाये।मौसम वही सुहाना, मुझको सदा लुभाये।महकी हुई धरा मन, मेरा लुभा रही है।मधुमास के दिनों की, कुछ याद आ रही है।भौंरे क
19 अक्तूबर 2020
वीरेंद्र कुमार गुप्ता
04 नवम्बर 2020बहुत सुन्दर.
इस में सौंदर्य रस और वीर रस के लिए भी जोड़ दीजिये.