पलक झपकते ही
पलक झपकते ही
ओझल हो गया
था जो हक़ीक़त
अब सपना बन गया
रहता था साथ जो
अब याद बन गया
होती थी रोज़ गुफ़्तगू
अब ख़्याल बन गया
था हो बशर
अब रूह बन गया
पलक झपकते ही
ओझल हो गया
१ दिसंबर २०२०
दिल्ली
पलक झपकते ही
पलक झपकते ही
ओझल हो गया
था जो हक़ीक़त
अब सपना बन गया
रहता था साथ जो
अब याद बन गया
होती थी रोज़ गुफ़्तगू
अब ख़्याल बन गया
था हो बशर
अब रूह बन गया
पलक झपकते ही
ओझल हो गया
१ दिसंबर २०२०
दिल्ली