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कविता

17 जुलाई 2017

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भारत की धरती वीरों से आज नहीं है खाली. अंगारे पर राजनीति की राख पुती है काली. ----------संविधान के छद्म रूप से देश आज है आहत. --------कर्मवीर सच्चे लोगों को कदम-कदम पर डाहत. लूट रहा है खुलेआम वह बना देश का माली. अंगारे पर राजनीति की राख पुती है काली. -----------क्लीव हो रहे लोग यहाँ पढ़ मैकाले की शिक्षा. -------------दानवीर के वंशज माँगे भिखमंगों से भिक्षा. भूल गये अपना अतीत हम जो था गौरवशाली. अंगारे पर राजनीति की राख पुती है काली. --------सहिष्णुता में हम विष पीकर विक्षिप्त हो गये हैं. ---------नित उसी फसल को काट रहे जो शत्रु बो गये हैं. सेवक का चोला पहने कर रहा बाज रखवाली. अंगारे पर राजनीति की राख पुती है काली. --------कुश्ती, मल्ल, कबड्डी, कसरत हुआ सभी से दूर. ------------गली-गली में क्रिकेट हो रहा लोगों में मसहूर. मदिरा मांस की दुकान चौराहे की खुशहाली. अंगारे पर राजनीति की राख पुती है काली. ----------चरित्र और नैतिकता की उड़ गयी गंध फूलों से. ---------रंग भरा फगुवा सावन की मृदु कजली झूलों से. पड़ी दरारें रिश्तों में सूखी उर की हरियाली. अंगारे पर राजनीति की राख पुती है काली.

उदय नारायण सिंह''निर्झर आजमगढ़ी'' की अन्य किताबें

प्रियंका शर्मा

प्रियंका शर्मा

बहुत उम्दा

17 जुलाई 2017

रेणु

रेणु

आदरणीय आपकी रचना एकदम आजकल के हालात से अवगत कराती है --'' -चरित्र और नैतिकता की उड़ गयी गंध फूलों से. --------- रंग भरा फगुवा सावन की मृदु कजली झूलों से. पड़ी दरारें रिश्तों में सूखी उर की हरियाली. अंगारे पर राजनीति की राख पुती है काली.!!!!!!!!!!!! '' ------- बहुत सुंदर -- बहुत ओजपूर्ण शब्दों से सजी सार्थक रचना

17 जुलाई 2017

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रचनाएँ
nirjharazamgarhi
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आज शब्द नगरी जुड़ कर अत्यंत प्रसंता हो रही है. इस संस्था के माध्यम से साहित्य की हर विधा को विकसित करने का प्रयास करता रहूँगा. मैं आजमगढ़ के पवई विकास खंड में जमुहट ग्राम का निवासी हूँ. साहित्य और समाज को समर्पित है मेरा जीवन. मै चाहता हूँ कि हिंदी सर्वोपरि भाषा हो. पूरे भारत में इसका समग्र विकास हो.

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