ख्यालों का तुम तर्जुमा करके देखो,
मेरे दर्द को फिर बयां करके देखो।
सिमट जायेंगे कल अंधेरों के साये ,
चिरागों को तुम मेहरबां करके देखो।
मेरे हाथ की इन लकीरों में क्या है,
हमारे लिए सब दुआ करके देखो।
गया वक़्त फिर लौट सकता नहीं है,
गुजरने ना पाए निभा करके देखो।
ये मेरा तुम्हारा किसी का नहीं है,
समझ सोच लो फिर अदा करके देखो।
मुकर जाएंगे लोग अपनी जुबां से,
कि इक मर्तबा आजमा करके देखो।
अजी चाँद-सूरज तुम्हारे नहीं हैं,
यकीं आएगा लौ बुझा करके देखो।
तुम्हारा हूँ यारों पराया नहीं है,
मुझे आज अपना बना करके दखो।
है 'अनुराग'दिल में नसों में मुहब्बत,
लवों से हमें गुनगुना करके देखो।